ताइवान ने स्पष्ट किया है कि वह अपने सेमीकंडक्टर (चिप्स) उत्पादन का 50 प्रतिशत अमेरिका में करने के अमेरिकी प्रस्ताव को स्वीकार नहीं करेगा। यह बयान ऐसे समय में आया है जब ताइवान और अमेरिका के बीच एक शुल्क समझौते को अंतिम रूप देने को लेकर जटिलता बढ़ गई है।
पिछले हफ्ते अमेरिका ने ताइवान के प्रमुख चिप निर्माता कंपनियों पर अस्थायी 20 प्रतिशत टैरिफ (शुल्क) लागू किया था, जिससे ताइवान के उद्योग जगत में भारी चिंता पैदा हो गई। अमेरिकी प्रशासन का कहना है कि यह कदम अमेरिका में उत्पादन बढ़ाने और तकनीकी निर्भरता कम करने के उद्देश्य से उठाया गया है।
ताइवान के अधिकारियों और चिप उद्योग के प्रतिनिधियों का कहना है कि अमेरिका में इतनी बड़ी मात्रा में उत्पादन करना व्यावहारिक और आर्थिक रूप से कठिन है। इससे ताइवान की वैश्विक चिप आपूर्ति श्रृंखला प्रभावित हो सकती है और घरेलू कंपनियों की प्रतिस्पर्धात्मकता पर भी असर पड़ सकता है।
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विशेषज्ञों का मानना है कि चिप्स का उत्पादन वैश्विक तकनीकी और आर्थिक सुरक्षा के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण है। ताइवान की प्रमुख कंपनियां जैसे TSMC दुनिया भर की कई उद्योगों और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की आपूर्ति करती हैं। यदि अमेरिकी प्रस्ताव लागू हुआ तो इससे ताइवान के विनिर्माण मॉडल और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला पर दबाव बढ़ सकता है।
अमेरिका और ताइवान दोनों ही आर्थिक और तकनीकी हितों के बीच संतुलन बनाने के लिए वार्ता जारी रखेंगे। दोनों पक्षों के बीच समाधान निकालने की कोशिशें तेज हैं, ताकि वैश्विक चिप मार्केट में स्थिरता बनी रहे।
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