ट्रांजिट कैंप के निवासियों ने रक्षाबंधन के अवसर पर 10.46 हेक्टेयर पुनर्वास भूमि पर प्रतीकात्मक कब्जा कर अपनी नाराजगी व्यक्त की। यह भूमि उनके लिए केंद्रीय सरकार द्वारा मंजूरी दे दी गई थी, लेकिन आवास निर्माण के लिए आवश्यक धनराशि अभी तक जारी नहीं की गई है।
निवासियों ने कहा कि उन्हें अपने स्थायी घरों के लिए इंतजार करना पड़ रहा है, जबकि केंद्रीय सरकार ने पहले ही भूमि को मंजूरी दे दी थी। इस प्रतीकात्मक कब्जे का उद्देश्य प्रशासन और सरकार के समक्ष उनकी समस्याओं को उजागर करना और समय पर समाधान की मांग करना था।
स्थानीय नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी इस आंदोलन में समर्थन दिया। उन्होंने कहा कि ट्रांजिट कैंप में रह रहे लोग लंबे समय से असुरक्षित और असुविधाजनक परिस्थितियों में जीवन यापन कर रहे हैं। आवास निर्माण के लिए धनराशि जारी न होने के कारण उनकी स्थिति और कठिन हो गई है।
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प्रशासन ने निवासियों को आश्वासन दिया है कि वे जल्द ही धनराशि जारी करने और पुनर्वास परियोजना को गति देने के उपाय करेंगे। निवासियों का कहना है कि प्रतीकात्मक कब्जा उनकी मांगों को मजबूती से सामने लाने का एक शांतिपूर्ण तरीका है।
विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे आंदोलनों से सरकार और प्रशासन को जनता की समस्याओं का सामना करने और त्वरित समाधान सुनिश्चित करने के लिए प्रेरित किया जा सकता है। ट्रांजिट कैंप निवासियों की मांग है कि जल्द से जल्द आवास निर्माण कार्य शुरू हो और उन्हें सुरक्षित और स्थायी आवास मिल सके।
इस प्रतीकात्मक कब्जे ने यह संदेश दिया कि रक्षाबंधन के पवित्र त्योहार पर भी लोग अपने अधिकारों और न्याय की मांग करने से पीछे नहीं हट रहे हैं।
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