अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने हाल ही में एक नया राजनीतिक बचाव का रास्ता तलाशा है। अब वे अपने नाम से जुड़े विवादों और घोटालों की जिम्मेदारी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) पर डाल रहे हैं। उनका कहना है कि कई ऐसे वीडियो, बयान और दस्तावेज़ सामने आ रहे हैं जिन्हें उन्होंने कभी नहीं कहा या किया, बल्कि यह सब एआई-जनित सामग्री का परिणाम है।
विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रम्प का यह कदम एक रणनीतिक राजनीतिक चाल है। एआई के तेजी से बढ़ते उपयोग के कारण फर्जी वीडियो और डीपफेक सामग्री का खतरा वास्तव में गंभीर है। लेकिन आलोचकों का कहना है कि ट्रम्प हर विवाद से बचने के लिए तकनीक का सहारा ले रहे हैं और इसे “एस्केप हैच” की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं।
ट्रम्प पहले भी मीडिया और न्यायिक संस्थानों पर आरोप लगाते रहे हैं कि वे उनके खिलाफ पक्षपाती हैं। अब एआई को बहाना बनाकर वे अपने समर्थकों को यह संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं कि उनके खिलाफ जो भी सबूत सामने आएंगे, वे फर्जी हो सकते हैं।
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हालांकि, तथ्य-जांच करने वाले संगठनों का कहना है कि अब तक सामने आए अधिकांश सबूत वास्तविक हैं और उन्हें अदालतों में मान्यता भी मिली है। ऐसे में ट्रम्प का यह तर्क राजनीतिक रूप से भले ही कारगर हो, लेकिन कानूनी रूप से इसे टिकाना मुश्किल होगा।
यह बहस अमेरिकी राजनीति में एक बड़े सवाल को जन्म देती है—क्या एआई का दुरुपयोग नेताओं को जवाबदेही से बचने का नया हथियार बना सकता है? या यह लोकतांत्रिक संस्थाओं की साख को और कमजोर करेगा?
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