अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा घोषित 25% टैरिफ गुरुवार, 7 अगस्त से प्रभावी हो गए हैं। ये शुल्क भारत सहित अमेरिका के कई प्रमुख व्यापारिक साझेदार देशों से आने वाले उत्पादों पर लगाए गए हैं। ट्रम्प प्रशासन ने यह कदम अमेरिकी उद्योगों को सस्ती विदेशी वस्तुओं से होने वाले नुकसान को कम करने और घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से उठाया है।
भारत से आयातित कई वस्तुओं—जैसे स्टील, एल्युमिनियम, मशीनरी और कृषि उत्पादों—पर अब अतिरिक्त शुल्क देना होगा, जिससे इन उत्पादों की कीमतें अमेरिकी बाजार में बढ़ जाएंगी। इससे भारतीय निर्यातकों को नुकसान हो सकता है और दोनों देशों के व्यापारिक रिश्तों में तनाव आ सकता है।
भारत सरकार ने इस निर्णय पर चिंता व्यक्त की है और कहा है कि यह कदम बहुपक्षीय व्यापार नियमों के खिलाफ है। विशेषज्ञों का मानना है कि ये टैरिफ न केवल भारत बल्कि यूरोपीय संघ, चीन, कनाडा और मैक्सिको जैसे अन्य साझेदार देशों के साथ भी अमेरिका के व्यापारिक संबंधों को प्रभावित कर सकते हैं।
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इन टैरिफ का असर अमेरिकी उपभोक्ताओं पर भी पड़ सकता है, जिन्हें अब रोज़मर्रा की वस्तुओं के लिए अधिक कीमत चुकानी पड़ सकती है। विश्लेषकों का कहना है कि यह निर्णय वैश्विक व्यापार में अस्थिरता बढ़ा सकता है और व्यापार युद्ध की आशंका को और गहरा कर सकता है।
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