अमेरिकी सरकार जल्द ही 10 बड़े परमाणु रिएक्टर खरीदने और संचालित करने की योजना बना रही है, जिनकी फंडिंग जापान द्वारा किए गए 550 अरब डॉलर के वित्तीय वादे से की जा सकती है। यह कदम अमेरिका में बढ़ती बिजली की मांग को पूरा करने के लिए उठाया जा रहा है। जापान ने अक्टूबर में अमेरिका को 550 अरब डॉलर के प्रोजेक्ट्स में निवेश करने की गैर-बाध्यकारी प्रतिबद्धता की थी, जिसमें 80 अरब डॉलर वेस्टिंगहाउस द्वारा बनाए जाने वाले नए रिएक्टरों के निर्माण के लिए शामिल है।
अमेरिका के ऊर्जा विभाग के चीफ़ ऑफ़ स्टाफ कार्ल कोए ने बताया कि सरकारी स्तर पर निजी बाज़ारों में इस तरह का दखल असामान्य है, लेकिन वर्तमान ऊर्जा संकट इसे आवश्यक बनाता है। ट्रम्प प्रशासन AI डेटा सेंटरों और मैन्युफैक्चरिंग में बिजली की भारी कमी को लेकर पहले ही चेतावनी दे चुका है। सत्ता संभालते ही राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने "ऊर्जा आपातकाल" घोषित किया था, जिससे पाइपलाइन, पावर ग्रिड और कोयला संयंत्रों को तेज़ी से मंजूरी देने की शक्ति हासिल हुई।
पिछले एक दशक में अमेरिका में बड़े परमाणु संयंत्रों का निर्माण लगभग ठप रहा है, खासतौर पर दक्षिणी कंपनी द्वारा बनाए गए वोग्टल प्रोजेक्ट में 16 अरब डॉलर की लागत बढ़ने और सात साल की देरी के बाद उद्योग का भरोसा टूट गया था। हालांकि, AI बूम ने बड़े रिएक्टरों की मांग को फिर से बढ़ा दिया है।
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जापान ने कुल 332 अरब डॉलर अमेरिकी ऊर्जा प्रोजेक्ट्स में लगाने की सहमति दी है, जिसमें छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर, नई बिजली परियोजनाएं, ट्रांसमिशन नेटवर्क और पाइपलाइनें शामिल हैं। ट्रम्प प्रशासन 2030 तक 10 बड़े पारंपरिक रिएक्टर निर्माण में लाने का लक्ष्य बना रहा है।
कोए ने कहा कि रिएक्टरों की स्थापना के स्थान को लेकर अभी निर्णय होना बाकी है, लेकिन उन्हें विश्वास है कि यह परियोजना आगे बढ़ेगी।
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