व्हाइट हाउस ने गुरुवार (23 अक्टूबर, 2025) को कहा कि ट्रंप प्रशासन अपने हालिया H-1B वीज़ा कार्यक्रम में किए गए सुधारों का अदालत में बचाव करेगा। प्रशासन का कहना है कि ये बदलाव अमेरिकी कामगारों की सुरक्षा और लंबे समय से चली आ रही प्रणालीगत धोखाधड़ी को रोकने के लिए आवश्यक है।
व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि राष्ट्रपति इस वीज़ा प्रणाली को “सुधारना चाहते हैं” क्योंकि यह वर्षों से “धोखाधड़ी से भर गया है” और इसके कारण अमेरिकी मजदूरों के वेतन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है।
उन्होंने कहा कि प्रशासन के नए नियम कानूनी और आवश्यक दोनों हैं, भले ही कई टेक इंडस्ट्री समूहों और विश्वविद्यालयों ने इन सुधारों को लेकर मुकदमे दायर किए हों।
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नई नीतियों के तहत H-1B वीज़ा प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी बनाने, फर्जी आवेदन रोकने और अमेरिकी कंपनियों को प्राथमिकता देने का प्रयास किया गया है। प्रशासन का दावा है कि इस कदम से विदेशी श्रमिकों की भर्ती में निष्पक्षता आएगी और उच्च-कौशल वाले प्रतिभाशाली लोगों के लिए वास्तविक अवसर खुलेंगे।
हालांकि, आलोचकों का कहना है कि यह कदम अमेरिकी टेक उद्योग को नुकसान पहुंचा सकता है, क्योंकि कई कंपनियां विदेशी इंजीनियरों और तकनीकी विशेषज्ञों पर निर्भर हैं। विश्वविद्यालयों का भी कहना है कि इससे अंतरराष्ट्रीय छात्रों और शोधकर्ताओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
व्हाइट हाउस का रुख स्पष्ट है कि ये सुधार अमेरिकी नौकरियों और अर्थव्यवस्था की सुरक्षा के लिए जरूरी है और सरकार इन्हें अदालत में मजबूती से बचाव करेगी।
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