आईआईटी (इंडियन स्कूल ऑफ माइंस), धनबाद के 100वें स्थापना दिवस पर मुख्य वक्तव्य देते हुए अडानी समूह के अध्यक्ष गौतम अडानी ने कहा कि आज जब दुनिया भर में गठबंधन टूट रहे हैं और देश केवल अपने स्वार्थ में काम कर रहे हैं, भारत को अपनी विकास यात्रा स्वयं परिभाषित करनी होगी। उन्होंने जोर दिया कि 21वीं सदी में भारत की संप्रभुता उसके प्राकृतिक संसाधनों और ऊर्जा प्रणालियों पर निर्भर करेगी।
अडानी ने कहा कि देश को अपनी ऊर्जा क्षमता तथा धरती के भीतर मौजूद संसाधनों पर महारत हासिल करनी होगी। उन्होंने इतिहास से सीख लेने का सुझाव दिया—चाहे वह बख्तियार खिलजी द्वारा नालंदा जैसे ज्ञान केंद्र का विनाश हो या ब्रिटिशों द्वारा शिक्षा प्रणाली के माध्यम से भारत को कमजोर करने का प्रयास।
उन्होंने “नैरेटिव कॉलोनाइजेशन” के खिलाफ चेतावनी दी, जिसमें विकसित देश भारत के विकास मॉडल पर नियंत्रण रखना चाहते हैं, जबकि भारत दुनिया में प्रति व्यक्ति सबसे कम कार्बन उत्सर्जन करने वाले देशों में शामिल है।
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अडानी ने वर्तमान समय को भारत का “दूसरा स्वतंत्रता संग्राम” बताया—एक ऐसा संघर्ष जो आर्थिक और संसाधन-आधारित आत्मनिर्भरता के लिए है। उन्होंने कहा कि भारत को बाहरी दबावों के आगे झुकना नहीं चाहिए और अपने मानकों पर विकास करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि यदि भारत अपनी ही कहानी नहीं लिखेगा, तो वैश्विक मंच पर उसकी आकांक्षाओं को अमान्य करने की कोशिशें होंगी। भारत के 50% से अधिक गैर-जीवाश्म ऊर्जा क्षमता हासिल करने का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि भारत का ESG प्रदर्शन आंकड़ों के बावजूद अक्सर पक्षपात का शिकार बनता है।
ऑस्ट्रेलिया की कार्माइकल कोयला परियोजना का उल्लेख करते हुए अडानी ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय आलोचनाओं, मुकदमों और राजनीतिक दबावों के बावजूद यह परियोजना भारत की ऊर्जा सुरक्षा मजबूत करने के लिए पूरी की गई।
अंत में उन्होंने IIT ISM धनबाद के छात्रों के लिए 50 वार्षिक इंटर्नशिप और 3S माइनिंग एक्सीलेंस सेंटर की स्थापना की घोषणा की और छात्रों को निडर होकर नवाचार करने और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में योगदान देने के लिए प्रेरित किया।
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