अग्निपथ भर्ती योजना के खिलाफ वर्ष 2022 में हुए व्यापक प्रदर्शनों के दौरान युवाओं पर दर्ज किए गए मामलों को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार ने समीक्षा प्रक्रिया शुरू कर दी है। यह कदम तब उठाया गया है जब भाजपा के जेवर विधायक धीरेंद्र सिंह ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर मांग की थी कि इन मामलों को वापस लिया जाए, क्योंकि इनमें शामिल अधिकांश युवा अब भविष्य निर्माण की दिशा में आगे बढ़ना चाहते हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, 2022 के विरोध प्रदर्शनों से जुड़े कुल 51 मामले प्रदेश के 15 जिलों में दर्ज किए गए थे। इन प्रदर्शनों के दौरान युवाओं ने कई स्थानों पर ट्रेनों, बसों और अन्य वाहनों को नुकसान पहुंचाया था। कुछ जगहों पर भीड़ ने वाहनों में आग लगा दी थी और निजी एवं सरकारी संपत्तियों को भी गंभीर नुकसान हुआ था।
विरोध की तीव्रता इतनी अधिक थी कि कई रेलवे स्टेशनों, बस अड्डों और सार्वजनिक संपत्तियों को भारी क्षति उठानी पड़ी थी। पुलिस और प्रशासन ने उस समय बड़ी संख्या में युवाओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी, जिनमें सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने, पथराव करने और हिंसा भड़काने जैसे आरोप शामिल थे।
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विधायक धीरेंद्र सिंह ने अपने पत्र में कहा था कि आरोपी युवा अब पश्चाताप कर रहे हैं और समाज की मुख्यधारा में लौटकर देश सेवा करना चाहते हैं। उन्होंने सरकार से अपील की थी कि युवाओं के भविष्य को ध्यान में रखते हुए मामलों को वापस लिया जाए।
सरकार द्वारा समीक्षा की शुरुआत से यह संकेत मिलता है कि आरोपों की गंभीरता, सबूतों और युवाओं के व्यवहार को ध्यान में रखते हुए निर्णय लिया जा सकता है। समीक्षा की प्रक्रिया पूरी होने के बाद यह तय होगा कि किन मामलों को वापस लिया जा सकता है और किन्हें आगे बढ़ाया जाएगा।
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