कर्नाटक के आलंद ‘वोट चोरी’ मामले में राज्य पुलिस की विशेष जांच टीम (एसआईटी) ने अपनी चार्जशीट में गंभीर आरोप लगाए हैं। एसआईटी के अनुसार, आलंद विधानसभा क्षेत्र में वर्ष 2022-23 के दौरान जिन मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से हटाने की कोशिश की गई, वे वे लोग थे जिनके बारे में यह माना गया था कि वे पूर्व विधायक सुभाष गुट्टेदार के पक्ष में मतदान नहीं करेंगे।
चार्जशीट में कहा गया है कि यह पूरी साजिश राजनीतिक लाभ के उद्देश्य से रची गई थी। एसआईटी का दावा है कि आलंद विधानसभा क्षेत्र में सुभाष गुट्टेदार (चार्जशीट में ए-1) को चुनावी फायदा पहुंचाने के लिए मतदाता सूची में हेरफेर की योजना बनाई गई। जांच एजेंसी के मुताबिक, जिन नामों को हटाने के लिए आवेदन और प्रक्रियाएं अपनाई गईं, उनका चयन इस आधार पर किया गया कि संबंधित मतदाता गुट्टेदार के समर्थक नहीं माने जाते थे।
एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया है कि 2018 के विधानसभा चुनाव में सुभाष गुट्टेदार को आलंद सीट से महज 697 वोटों के बेहद छोटे अंतर से हार का सामना करना पड़ा था। इसी पृष्ठभूमि में बाद के वर्षों में मतदाता सूची से नाम हटाने की कथित कोशिशों को बेहद गंभीर माना जा रहा है।
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मई 2023 के कर्नाटक विधानसभा चुनाव में सुभाष गुट्टेदार ने भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर आलंद सीट से चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्हें फिर से हार का सामना करना पड़ा। गुट्टेदार का राजनीतिक इतिहास यह दर्शाता है कि वह दो-दो बार भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस, दोनों दलों से विधायक रह चुके हैं।
एसआईटी के अनुसार, मतदाता सूची से नाम हटाने की यह कथित साजिश लोकतांत्रिक प्रक्रिया को प्रभावित करने वाली थी और इससे निष्पक्ष चुनाव पर सवाल खड़े होते हैं। फिलहाल, चार्जशीट दाखिल होने के बाद मामले की आगे की कानूनी प्रक्रिया अदालत में चलेगी, जहां आरोपों की पुष्टि और जिम्मेदारी तय की जाएगी।
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