पंजाब की लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी (एलपीयू) द्वारा हाल ही में अमेरिकी सॉफ्ट ड्रिंक्स पर कैंपस में प्रतिबंध लगाने की घोषणा के बाद एक पुराना मामला फिर चर्चा में आ गया है। वर्ष 2003 में तमिलनाडु की अन्ना यूनिवर्सिटी ने भी अपने कैंटीन में अमेरिकी पेय कंपनियों पेप्सी और कोका-कोला के उत्पादों की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया था।
उस समय अन्ना यूनिवर्सिटी का यह कदम काफी सुर्खियों में रहा था। विश्वविद्यालय प्रशासन ने तर्क दिया था कि छात्रों के स्वास्थ्य की सुरक्षा और भारतीय उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए यह निर्णय लिया गया। साथ ही, उस दौर में इन विदेशी सॉफ्ट ड्रिंक्स के पानी के स्रोत और गुणवत्ता को लेकर कई सवाल उठे थे।
विश्वविद्यालय का मानना था कि छात्रों को हानिकारक पेय पदार्थों से दूर रखना उसकी जिम्मेदारी है। इसके बाद कैंपस में स्थानीय ब्रांड और जूस के विकल्प उपलब्ध कराए गए। यह फैसला उस समय देशभर में शैक्षणिक संस्थानों में स्वास्थ्य और स्वदेशी उत्पादों को लेकर नई बहस का कारण बना था।
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आज, एलपीयू द्वारा लिए गए निर्णय को इसी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि में देखा जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह न केवल स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता को बढ़ाता है बल्कि स्वदेशी पेय उद्योग को भी बढ़ावा देता है।
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