भारतीय सेना ने हाल ही में उत्तराखंड में चल रहे सियॉम प्रहार अभ्यास के दौरान ड्रोन इंटीग्रेशन को शामिल करते हुए एक विशेष तकनीकी अभ्यास किया। यह तीन दिवसीय फील्ड ट्रेनिंग ड्रिल सैनिकों की मुकाबला क्षमता को बढ़ाने और आधुनिक युद्ध तकनीकों में दक्षता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से आयोजित की गई।
अभ्यास में अनमैंड एरियल सिस्टम (यूएएस) का प्रयोग निगरानी, टारगेटिंग और सटीक हवाई हमलों के लिए किया गया। ड्रोन के जरिए दुश्मन की स्थिति का वास्तविक समय में विश्लेषण किया गया और विभिन्न लक्ष्यों पर सटीक हमला करने की रणनीति का परीक्षण किया गया। इस पहल का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि सेना के जवान आधुनिक तकनीक का कुशलतापूर्वक उपयोग कर सकें और जमीनी, हवाई और टैक्टिकल ऑपरेशनों में सामरिक बढ़त हासिल कर सकें।
सेना अधिकारियों ने बताया कि ड्रोन इंटीग्रेशन अभ्यास के दौरान विभिन्न परिस्थितियों में उनके प्रदर्शन और सहकारी रणनीतियों का परीक्षण किया गया। इससे न केवल सैनिकों की तकनीकी दक्षता बढ़ेगी बल्कि वास्तविक युद्ध परिस्थितियों में तेजी से निर्णय लेने और सटीक कार्रवाई करने की क्षमता भी विकसित होगी।
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विशेषज्ञों के अनुसार, आधुनिक युद्ध में ड्रोन तकनीक का समुचित उपयोग सफलता की कुंजी बन चुका है। सियॉम प्रहार अभ्यास में यह प्रयोग भारतीय सेना की रणनीतिक क्षमता और आधुनिक सैन्य तकनीक अपनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
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