अरुणाचल प्रदेश में स्थानीय कार्यकर्ताओं और किसानों ने केंद्र सरकार से अपील की है कि वह चीन के यारलुंग त्सांगपो नदी पर प्रस्तावित दुनिया के सबसे बड़े डैम का डर दिखाकर सियांग नदी पर 11,500 मेगावॉट का हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट जबरन लागू न करे।
इन कार्यकर्ताओं का कहना है कि सरकार चीन की डैम परियोजना का हवाला देकर सियांग प्रोजेक्ट को ‘राष्ट्रीय सुरक्षा’ के नाम पर आगे बढ़ाने की कोशिश कर रही है, जबकि इस परियोजना से स्थानीय जनजीवन, पर्यावरण और पारिस्थितिकी पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा।
उन्होंने चेतावनी दी कि इस परियोजना के कारण 27 गांव जलमग्न हो जाएंगे और हजारों लोगों को विस्थापित होना पड़ेगा। इसके अलावा, नदी का प्राकृतिक प्रवाह और जैव विविधता भी नष्ट हो जाएगी, जिससे क्षेत्र में बड़े पैमाने पर पारिस्थितिक संकट पैदा होगा।
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कार्यकर्ताओं और किसानों ने कहा कि सरकार को पारदर्शिता के साथ प्रभावित समुदायों से संवाद करना चाहिए और परियोजना को उनकी सहमति के बिना आगे नहीं बढ़ाना चाहिए। उन्होंने मांग की कि सरकार स्थानीय लोगों के अधिकारों का सम्मान करे और पर्यावरणीय आकलन को प्राथमिकता दे।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि केंद्र इस परियोजना को जबरन लागू करता है तो यह न केवल सामाजिक असंतोष को जन्म देगा बल्कि क्षेत्र की नाजुक पारिस्थितिकी को भी अपूरणीय क्षति पहुंचा सकता है।
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