असम में नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 (सीएए) के तहत दो और लोगों को भारतीय नागरिकता प्रदान की गई है, जिनमें एक महिला भी शामिल है। इसके साथ ही राज्य में सीएए के तहत नागरिकता पाने वालों की संख्या बढ़कर चार हो गई है। इस जानकारी की पुष्टि उनके वकील ने की।
वरिष्ठ अधिवक्ता धर्मानंद देब, जो सिलचर के विदेशी न्यायाधिकरण के सदस्य भी रह चुके हैं, ने बताया कि यह असम में पहला मामला है, जब सीएए के तहत किसी महिला को नागरिकता प्रदान की गई है। उन्होंने कहा कि गृह मंत्रालय ने शुक्रवार (12 दिसंबर, 2025) को दोनों व्यक्तियों को नागरिकता प्रमाणपत्र जारी किए। नागरिकता उस दिन से प्रभावी मानी जाएगी, जिस दिन वे भारत में प्रवेश किए थे। सामाजिक उत्पीड़न की आशंका के चलते दोनों के नाम उजागर नहीं किए गए हैं।
वकील के अनुसार, 40 वर्षीय महिला 2007 में बांग्लादेश से भारत आई थीं और श्रीभूमि क्षेत्र में रह रही थीं। वे इलाज के लिए अपने एक परिजन के साथ सिलचर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल आई थीं, जहां उनकी मुलाकात श्रीभूमि के एक व्यक्ति से हुई। बाद में दोनों ने विवाह किया, उनका एक पुत्र हुआ और महिला यहीं बस गईं। उन्होंने सीएए नियम अधिसूचित होने के बाद नागरिकता के लिए आवेदन किया था।
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हालांकि, लोकसभा चुनाव से पहले परिसीमन प्रक्रिया के कारण उनके पहले आवेदन को खारिज कर दिया गया था, क्योंकि बादरपुर क्षेत्र का कुछ हिस्सा श्रीभूमि से कछार में स्थानांतरित हो गया था, जिससे अधिकार क्षेत्र को लेकर भ्रम उत्पन्न हुआ। दोबारा आवेदन करने के बाद अंततः उनका मामला स्वीकृत हुआ।
धर्मानंद देब ने बताया कि महिला को नागरिकता नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 5(1)(c) और 6बी के तहत पंजीकरण मार्ग से दी गई, जो किसी भारतीय नागरिक से विवाह के बाद सात वर्ष भारत में रहने पर नागरिकता का प्रावधान करता है।
दूसरे लाभार्थी, जो सिलचर शहर के निवासी हैं, 1975 में 11 वर्ष की उम्र में बांग्लादेश के मौलवीबाजार जिले से भारत आए थे। उन्होंने भी स्थानीय स्तर पर विवाह कर परिवार बसाया और उन्हें प्राकृतिककरण प्रक्रिया के तहत नागरिकता दी गई।
असम में अब तक सीएए के तहत चार लोगों को नागरिकता मिल चुकी है। अधिवक्ता ने बताया कि पिछले 18 महीनों में उन्होंने करीब 25 आवेदकों की मदद की, लेकिन कई आवेदन खारिज हो गए या अभी लंबित हैं।
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