सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त उच्चाधिकार प्राप्त समिति के अध्यक्ष ने बांके बिहारी मंदिर में बढ़ती अव्यवस्था और पुजारियों द्वारा निर्देशों का पालन न करने पर कड़ा कदम उठाते हुए जगमोहन हॉल में सीढ़ियां चढ़ने और वहां से दर्शन करने पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है।
जगमोहन मंदिर के गर्भगृह और आम श्रद्धालुओं के दर्शन स्थल के बीच का वह क्षेत्र है, जहां स्थानीय परंपराओं के अनुसार केवल ड्यूटी पर मौजूद पुजारी ही प्रवेश कर सकते हैं। श्रद्धालुओं को इस क्षेत्र में प्रवेश की अनुमति नहीं होती।
आधिकारिक बयान में कहा गया कि शनिवार, 22 नवंबर 2025 से जगमोहन क्षेत्र के ऊपरी बाईं और दाईं ओर किसी भी आगंतुक का प्रवेश पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगा।
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सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर के दैनिक प्रबंधन के लिए सेवानिवृत्त इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायाधीश अशोक कुमार की अध्यक्षता में 12-सदस्यीय समिति गठित की थी। न्यायमूर्ति अशोक कुमार ने बताया कि पुजारियों ने पहले व्यवस्था सुधारने का आश्वासन दिया था, लेकिन वे निर्देशों का पालन करने में विफल रहे।
शुक्रवार, 21 नवंबर 2025 को जारी आदेश में जगमोहन क्षेत्र में सीढ़ियां चढ़कर दर्शन करने को पूर्णतः प्रतिबंधित कर दिया गया। आदेश जारी करने से पहले समिति अध्यक्ष अशोक कुमार और पूर्व जिला जज मुकेश कुमार ने मंदिर परिसर का निरीक्षण किया, जिसमें कई अनियमितताएं पाई गईं।
न्यायमूर्ति कुमार ने बताया कि कुछ श्रद्धालु सीढ़ियों पर चढ़कर और यहां तक कि बच्चों को पकड़े हुए रेलिंग से झुककर दर्शन की कोशिश कर रहे थे। यह न केवल 'ठाकुरजी' की गरिमा के विपरीत है, बल्कि भीड़भाड़ के कारण दुर्घटना की आशंका भी बढ़ती है।
उन्होंने मंदिर के कार्यकारी प्रबंधक को आदेश का कड़ाई से पालन सुनिश्चित कराने और जगमोहन से चंदन कोठरी तक जाने वाले मार्ग/द्वार को बंद करने के निर्देश दिए हैं।
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