बिहार विधानसभा चुनाव के दृष्टिगत, प्रवासी मतदाता इस बार महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले हैं। त्योहारों के सीज़न में घर लौटे ये मतदाता विशेषकर उत्तर-पश्चिमी बिहार की विधानसभा सीटों पर चुनावी परिणामों को प्रभावित कर सकते हैं।
प्रवासी मतदाता, जो विभिन्न राज्यों में काम करते हैं, अब अपने मूल जिलों में लौटकर मतदान करेंगे। इनके मत न केवल सीटों के समीकरण बदल सकते हैं, बल्कि उम्मीदवारों और राजनीतिक दलों के चुनावी रणनीति को भी प्रभावित करेंगे। विशेषज्ञों का कहना है कि इस बार चुनाव में प्रवासी मतदाताओं की संख्या और उनकी सक्रिय भागीदारी को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
प्रशांत किशोर की नई राजनीतिक पार्टी, जन सुराज पार्टी, ने इन प्रवासी मतदाताओं के बीच कुछ पैठ बनाई है। हालांकि, अभी तक प्रवासी मतदाताओं ने अपनी वोटिंग प्राथमिकताओं के बारे में स्पष्ट संकेत नहीं दिए हैं। पार्टी और अन्य राजनीतिक दल दोनों ही इस महत्वपूर्ण वोट बैंक को आकर्षित करने के लिए प्रचार और संपर्क अभियान चला रहे हैं।
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विशेषज्ञों का मानना है कि प्रवासी मतदाता अक्सर रोजगार, सामाजिक सुरक्षा और स्थानीय विकास जैसे मुद्दों के आधार पर निर्णय लेते हैं। इसलिए उम्मीदवारों को उनकी समस्याओं और अपेक्षाओं को ध्यान में रखते हुए चुनाव प्रचार करना होगा।
राजनीतिक दलों के लिए यह स्पष्ट है कि प्रवासी मतदाता चुनाव में निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं। उनकी सक्रिय भागीदारी और वोटिंग रुझान आगामी चुनाव परिणामों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
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