बॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार की कृषि खरीद योजना को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज करते हुए याचिकाकर्ताओं पर ₹1 लाख का जुर्माना लगाया है। अदालत ने इन याचिकाओं को "बेवजह और आधारहीन" बताते हुए कहा कि इनसे न्यायालय का समय नष्ट हुआ और जनहित का दिखावा करते हुए गलत मंशा से दायर की गईं।
याचिकाएं महाराष्ट्र सरकार के उस शासनादेश (Government Resolution - GR) को चुनौती दे रही थीं, जिसमें किसानों से कृषि उत्पादों की खरीद के लिए राज्य की योजना को लागू किया गया है। याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया था कि यह योजना मनमानी है और इससे कुछ लोगों को अनुचित लाभ मिलेगा।
हालांकि, मुख्य न्यायाधीश डी. के. उपाध्याय और न्यायमूर्ति अरिफ डॉक्टर की खंडपीठ ने स्पष्ट कहा कि याचिकाकर्ता इस योजना के वास्तविक उद्देश्यों को नजरअंदाज कर रहे हैं और उन्होंने ऐसा कोई ठोस आधार नहीं प्रस्तुत किया जिससे योजना को असंवैधानिक ठहराया जा सके।
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अदालत ने कहा कि किसानों के हित में लाई गई इस योजना में किसी प्रकार की अवैधता नहीं पाई गई और याचिकाएं जनहित याचिका के नाम पर न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग थीं। इसलिए, न्यायालय ने याचिकाकर्ताओं पर ₹1 लाख का जुर्माना लगाते हुए उन्हें चेताया कि भविष्य में इस प्रकार की गैर-गंभीर याचिकाएं दायर करने से बचें।
यह फैसला राज्य सरकार की योजनाओं को कानूनी संरक्षण प्रदान करने वाला एक अहम निर्णय माना जा रहा है।
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