पश्चिम बंगाल में विशेष गहन संशोधन (Special Intensive Revision - SIR) प्रक्रिया को लेकर जारी विवाद के बीच कलकत्ता हाईकोर्ट ने शुक्रवार (31 अक्टूबर 2025) को एक जनहित याचिका स्वीकार की है, जिसमें कोर्ट मॉनिटरिंग के तहत SIR कराने की मांग की गई है। यह याचिका SIR प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से दायर की गई है।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश सुजॉय पॉल और न्यायमूर्ति स्मिता दास दे की पीठ ने याचिका स्वीकार करते हुए मामले पर सुनवाई के लिए तिथि तय की। याचिकाकर्ता ने अदालत से अनुरोध किया है कि SIR प्रक्रिया की समय सीमा बढ़ाई जाए ताकि लोगों को अपनी जानकारी सत्यापित और सुधारने का पर्याप्त अवसर मिल सके।
मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने 27 अक्टूबर को 12 राज्यों में SIR शुरू करने की घोषणा की थी, जिसमें चुनावी राज्य पश्चिम बंगाल भी शामिल है। इस प्रक्रिया के दौरान मतदाता सूची के अद्यतन और सत्यापन का कार्य किया जा रहा है।
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इस बीच, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने भी इस प्रक्रिया को लेकर अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं। पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने कार्यकर्ताओं के साथ बैठक की और बूथ स्तर के एजेंटों (BLA) को निर्देश दिया कि वे SIR के दौरान बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) को एक मिनट के लिए भी अकेला न छोड़ें।
राज्य में हाल ही में SIR को लेकर भय और भ्रम की स्थिति बनी हुई है, जिसके चलते कुछ लोगों द्वारा आत्महत्या के मामलों की भी खबरें आई हैं। विपक्षी दलों ने प्रशासन पर प्रक्रिया में गड़बड़ी और दबाव के आरोप लगाए हैं।
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