प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने एक बड़े खुलासे में बताया है कि चैतन्य बघेल शराब सिंडिकेट का ‘सर्वोच्च अधिकारी’ है और पूरे नेटवर्क के संचालन में उसकी निर्णायक भूमिका रही है। ईडी के अनुसार, मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में बघेल की स्थिति इस सिंडिकेट के शीर्ष पर थी और वह न केवल वित्तीय लेन-देन बल्कि खातों के प्रबंधन पर भी सीधा नियंत्रण रखता था।
जांच एजेंसी ने कहा कि बघेल की भूमिका केवल एक सहभागी की नहीं बल्कि ‘कमांडिंग और निर्णायक’ थी। इसका अर्थ यह है कि वह पूरे अवैध कारोबार का मुख्य योजनाकार और नियंत्रक था। ईडी का दावा है कि सिंडिकेट के जरिए अवैध शराब कारोबार से भारी मात्रा में काले धन का सृजन किया गया और इसे विभिन्न माध्यमों से सफेद धन में बदलने की कोशिश की गई।
प्रवर्तन निदेशालय ने अपने बयान में यह भी कहा कि बघेल ने खातों के संचालन और धन के हस्तांतरण की ऐसी रणनीतियाँ अपनाईं, जिससे इस अवैध लेन-देन को सामान्य कारोबारी गतिविधियों के रूप में दिखाया जा सके। इस दौरान कई सहयोगी और कंपनियाँ भी शामिल थीं, जो उसकी निगरानी और निर्देशों में काम करती थीं।
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जांच में सामने आया है कि बघेल को न केवल कारोबार से होने वाले लाभ की जानकारी थी, बल्कि वह प्रत्येक वित्तीय निर्णय में भी हस्तक्षेप करता था। ईडी का मानना है कि उसकी यह सक्रिय और नियंत्रित भूमिका उसे इस सिंडिकेट का ‘अल्टीमेट अथॉरिटी’ बनाती है।
इस मामले में आगे की जांच जारी है और एजेंसी अब बघेल से जुड़े वित्तीय लेन-देन, सहयोगियों और कंपनियों की विस्तृत पड़ताल कर रही है।
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