भुवनेश्वर में आयोजित राष्ट्रीय मध्यस्थता सम्मेलन में भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डी.वाई. चंद्रचूड़ के स्थान पर कार्यरत सीजेआई गवई ने कहा कि मध्यस्थता (Mediation) एक ऐसी प्रक्रिया है जो समाज और न्याय प्रणाली दोनों के लिए लाभकारी सिद्ध हो सकती है। उन्होंने कहा कि मध्यस्थता न केवल कानूनी विवादों के समाधान का साधन है, बल्कि यह टकराव को संवाद में बदलने का प्रभावी माध्यम भी है।
सीजेआई गवई ने ज़ोर दिया कि न्याय प्रणाली पर लगातार बढ़ते बोझ और लंबित मामलों की संख्या को देखते हुए अब यह आवश्यक हो गया है कि मध्यस्थता को न्याय व्यवस्था का अभिन्न हिस्सा बनाया जाए। इसके लिए न्यायपालिका, विधि विशेषज्ञों और समाज के सभी हिस्सों को मिलकर प्रयास करने होंगे।
उन्होंने कहा कि जब विवाद अदालत के बजाय मध्यस्थता के जरिए सुलझते हैं तो न केवल समय और संसाधनों की बचत होती है, बल्कि पक्षों के बीच आपसी संबंध भी बेहतर बने रहते हैं। यह प्रक्रिया आपसी विश्वास, सम्मान और सहयोग की भावना को बढ़ावा देती है।
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सम्मेलन में मौजूद विधि विशेषज्ञों और मध्यस्थता विशेषज्ञों ने भी इसे भविष्य की न्याय प्रणाली के लिए एक आवश्यक कदम बताया। उनका कहना था कि यदि मध्यस्थता को संस्थागत स्तर पर और अधिक मजबूत किया जाए, तो देश में न्याय तक पहुँच और भी आसान और प्रभावी हो सकेगी।
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