केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लोकसभा में बताया कि दक्षिण भारत के नारियल बागानों पर मंडरा रहे कीटों और बीमारियों के खतरे से निपटने के लिए सरकार युद्धस्तर पर अभियान चला रही है। उन्होंने कहा कि नारियल उत्पादन में भारत विश्व में पहले स्थान पर है, जबकि तमिलनाडु के कोयंबटूर जिले का पोलाची क्षेत्र 1.2 लाख हेक्टेयर में फैले बागानों के साथ प्रमुख उत्पादक है।
प्रश्नकाल के दौरान मंत्री ने बताया कि पोलाची में नारियल क्लस्टर स्थापित करने का प्रस्ताव तैयार है और इस पर काम तेज गति से चल रहा है। हाल के वर्षों में राइनोसेरस बीटल, रेड पाम वीविल, रूट वील्ट और गैनोडर्मा जैसी गंभीर बीमारियों और कीटों ने नारियल फसलों पर गहरा असर डाला है, जिससे किसानों की उपज और आय प्रभावित हो रही है।
उन्होंने कहा कि सरकार इन बीमारियों को नियंत्रित करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठा रही है। नारियल विकास बोर्ड (Coconut Development Board) अपनी नर्सरी में बेहतर और रोगमुक्त पौधे तैयार कर रहा है, लेकिन मौजूदा संख्या पर्याप्त नहीं है। इस कारण स्वच्छ पौध कार्यक्रम (Clean Plant Programme) को बड़े पैमाने पर विस्तार दिया जा रहा है।
और पढ़ें: उर्वरक कंपनियों की मनमानी पर सरकार की बड़ी कार्रवाई, 5,371 लाइसेंस रद्द
कृषि मंत्री ने यह भी कहा कि जलवायु परिवर्तन खेती के लिए एक बड़ा संकट बनकर उभरा है। तापमान बढ़ने और अधिक वर्षा से फसलों पर असर हो रहा है। इसे देखते हुए सरकार जलवायु अनुकूल नई किस्में विकसित कर रही है और किसानों को इन बदलावों से निपटने के लिए सहायता प्रदान कर रही है।
उन्होंने रासायनिक उर्वरकों के अत्यधिक उपयोग को लेकर भी चिंता जताई और कहा कि इससे मिट्टी की सेहत प्रभावित होती है। सरकार एक करोड़ किसानों को प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए प्रेरित कर रही है, और वर्तमान में 15 लाख से अधिक किसान प्राकृतिक तथा जैविक खेती अपना रहे हैं।
और पढ़ें: अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने भारतीय चावल पर नए टैरिफ के संकेत दिए, कहा— डंपिंग नहीं होनी चाहिए