कांग्रेस नेता के. मुरलीधरन ने रविवार (24 नवंबर, 2025) को केंद्र सरकार द्वारा पेश की गई चार नई श्रम संहिता की आलोचना करते हुए उन्हें “राष्ट्र-विरोधी” करार दिया और कहा कि पार्टी इनका समर्थन नहीं करेगी।
मुरलीधरन ने दावा किया कि नई संहिताओं के तहत मजदूर केवल तभी कोई संगठन बना सकते हैं जब कम से कम 10% सदस्य उस संगठन का हिस्सा हों। उन्होंने कहा कि यह प्रावधान गलत है, क्योंकि यूनियन बनाना मजदूरों का मूल अधिकार है।
के. मुरलीधरन ने कहा, “यदि कोई संगठन बनाना है, तो न्यूनतम 10% सदस्य शामिल होने चाहिए, यह सही नहीं है। संगठन बनाना मजदूरों का अधिकार है। ये प्रावधान फैक्ट्री मालिकों को प्रोत्साहित कर रहे हैं और प्रबंधन का समर्थन कर रहे हैं। भारत में अधिकांश प्रबंधन से मजदूरों को न्याय नहीं मिल रहा है। यह केरल को भी प्रभावित कर रहा है। यह राष्ट्र-विरोधी है और हम इसका समर्थन नहीं करेंगे।”
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केंद्र द्वारा लागू की गई चार श्रम संहिताओं में से एक, इंडस्ट्रियल रिलेशन कोड 2020 के अनुसार, 51% सदस्यता वाले ट्रेड यूनियन को नेगोशिएटिंग यूनियन के रूप में मान्यता मिलती है। केंद्र का कहना है कि यह व्यवस्था सामूहिक सौदेबाजी को मजबूत करती है।
इस संहिता ने हड़ताल की परिभाषा को भी बढ़ाया है, जिसमें “मास कैजुअल लीव” को शामिल किया गया है, ताकि अचानक होने वाली हड़तालों को रोका जा सके और कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित की जा सके।
कांग्रेस ने इसे मजदूर विरोधी बताते हुए कहा है कि यह नई संहिता मजदूरों के अधिकारों का हनन करती है और केवल प्रबंधन और मालिकों के पक्ष में काम करती है।
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