पश्चिम बंगाल में शिक्षक भर्ती मामले में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ दायर अवमानना याचिका को वापस ले लिया गया है, क्योंकि अटॉर्नी जनरल ने इस याचिका को आगे बढ़ाने की सहमति नहीं दी। यह याचिका आत्मदीप, एक चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा दायर की गई थी।
आत्मदीप ट्रस्ट ने आरोप लगाया था कि ममता बनर्जी ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस वर्ष दिए गए निर्णय के खिलाफ अपने बयानों के माध्यम से अदालत का अपमान किया। ट्रस्ट का दावा था कि मुख्यमंत्री के वक्तव्य न्यायालय के सम्मान के लिए हानिकारक थे और इससे न्यायपालिका के प्रति जनता का विश्वास प्रभावित हो सकता है।
हालांकि, अटॉर्नी जनरल ने इस मामले में सहमति देने से इनकार कर दिया। इसके बाद याचिकाकर्ता ने याचिका वापस लेने का निर्णय लिया। अटॉर्नी जनरल का कहना था कि मामले की प्रकृति और सत्ताधारी पद पर रहने के नाते इस प्रकार की कार्रवाई पर विशेष सावधानी बरती जानी चाहिए।
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विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम न्यायिक प्रक्रिया और राजनीतिक संवेदनशीलता के बीच संतुलन बनाए रखने के प्रयास के रूप में देखा जा सकता है। इससे स्पष्ट होता है कि कोर्ट और सरकार के बीच मामलों को सुलझाने में आपसी समझ और प्रक्रिया का महत्व है।
ममता बनर्जी और उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने इस मामले को राजनीतिक रूप से संवेदनशील बताया था, और याचिका वापस लेने के बाद मामले में विवाद कम हुआ। यह निर्णय बंगाल में शिक्षक भर्ती प्रक्रिया और सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों के पालन को लेकर चर्चा का विषय बना हुआ था।
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