भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) [सीपीआई(एम)] ने विशाखापट्टनम में लुलु ग्रुप को आवंटित की गई जमीन को लेकर गंभीर आपत्ति जताई है। पार्टी नेताओं ने आरोप लगाया है कि इस जमीन आवंटन में बड़े पैमाने पर घोटाला हुआ है और इसे तत्काल रद्द किया जाना चाहिए।
सीपीआई(एम) नेताओं ने कहा कि केंद्र सरकार को इस मामले में सीबीआई जांच का आदेश देना चाहिए ताकि सच्चाई सामने आ सके। उनका कहना है कि लुलु ग्रुप को अवैध तरीके से और कम कीमत पर जमीन दी गई है, जिससे सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ है।
पार्टी ने यह भी आरोप लगाया कि यह जमीन आवंटन पारदर्शी तरीके से नहीं किया गया और इसमें कई नियमों का उल्लंघन हुआ है। सीपीआई(एम) ने कहा कि यदि केंद्र सरकार इस पर कार्रवाई नहीं करती तो पार्टी बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन करेगी।
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लुलु ग्रुप, जो भारत सहित कई देशों में रिटेल और मॉल व्यवसाय में सक्रिय है, ने अभी तक इन आरोपों पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है। वहीं, आंध्र प्रदेश की विपक्षी पार्टियों ने भी इस जमीन सौदे पर सवाल उठाए हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर सीबीआई जांच में अनियमितताएं साबित होती हैं, तो यह मामला आंध्र प्रदेश की राजनीति और निवेश माहौल पर बड़ा प्रभाव डाल सकता है। सीपीआई(एम) का कहना है कि सार्वजनिक संपत्ति की लूट को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
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