सीपीआई(एम) के महासचिव एम.ए. बेबी ने विपक्षी दलों के बीच 130वें संशोधन विधेयक को लेकर संसदीय समिति के बहिष्कार में उत्पन्न असहमति पर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि विपक्ष को इस मामले में एकजुट रहना चाहिए था और इस प्रकार का विभाजन लोकतांत्रिक संघर्ष को कमजोर करता है।
यह संशोधन विधेयक तीन महत्वपूर्ण प्रावधानों से जुड़ा है, जिनके तहत प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और अन्य मंत्रियों को यदि वे 30 दिनों तक न्यायिक हिरासत में रहते हैं, तो पद से हटाया जा सकता है। एम.ए. बेबी ने इन विधेयकों को “अलोकतांत्रिक” करार दिया और कहा कि ऐसे प्रावधान लोकतांत्रिक संस्थाओं और जनता के अधिकारों पर सीधा आघात करते हैं।
सीपीआई(एम) नेता ने स्पष्ट किया कि यह केवल एक कानूनी मुद्दा नहीं है, बल्कि यह राजनीतिक ढांचे और संवैधानिक व्यवस्था की स्थिरता से जुड़ा हुआ मामला है। उन्होंने कहा कि इस तरह के विधेयक सत्ता पक्ष को विपक्ष को कमजोर करने का औजार उपलब्ध करा सकते हैं।
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उन्होंने विपक्षी दलों से अपील की कि वे छोटी-मोटी असहमतियों को छोड़कर लोकतंत्र की रक्षा के लिए साझा रणनीति बनाएं। उनका मानना है कि संसद और उसकी समितियों में एकजुट रुख अपनाना ही जनता के भरोसे को मजबूत करेगा।
विशेषज्ञों का कहना है कि यदि विपक्ष इस तरह के महत्वपूर्ण मुद्दों पर विभाजित दिखेगा, तो सरकार को अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने में आसानी होगी। वहीं, विपक्ष की ताकत और उसकी विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़े होंगे।
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