भारत सरकार ने लंबे समय से चले आ रहे भगोड़ों के प्रत्यर्पण मामलों को आगे बढ़ाने के लिए अपनी कोशिशें तेज कर दी हैं। इसी कड़ी में ब्रिटेन की क्राउन प्रॉसिक्यूशन सर्विस (CPS) की एक टीम ने हाल ही में दिल्ली की तिहाड़ जेल का दौरा किया। जानकारी के अनुसार, इस टीम ने जेल के उच्च-सुरक्षा वार्ड का निरीक्षण किया और वहां बंद कुछ कैदियों से बातचीत भी की।
यह निरीक्षण उन कानूनी प्रक्रियाओं का हिस्सा है, जो ब्रिटेन और भारत के बीच चल रहे प्रत्यर्पण समझौतों और मामलों की प्रगति को प्रभावित कर सकती हैं। तिहाड़ जेल का उच्च-सुरक्षा वार्ड उन कैदियों को रखा जाता है, जिन पर गंभीर अपराधों या अंतरराष्ट्रीय मामलों से जुड़े आरोप होते हैं।
सूत्रों के मुताबिक, CPS की यह यात्रा विशेष रूप से उन भगोड़ों के संदर्भ में महत्वपूर्ण है, जिनके खिलाफ ब्रिटेन में प्रत्यर्पण की प्रक्रिया लंबित है। इनमें आर्थिक अपराध और मनी लॉन्ड्रिंग जैसे मामलों में वांछित कई हाई-प्रोफाइल नाम शामिल हैं। निरीक्षण का उद्देश्य यह आकलन करना था कि प्रत्यर्पण के बाद संभावित कैदियों को भारत में उचित और अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप सुविधाएं मिल पाएंगी या नहीं।
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भारत सरकार की ओर से इस कदम को एक बड़ी उपलब्धि के रूप में देखा जा रहा है। अधिकारियों का मानना है कि CPS की सकारात्मक रिपोर्ट आगे चलकर ब्रिटिश अदालतों को प्रत्यर्पण आदेश देने के लिए प्रेरित कर सकती है।
इस घटनाक्रम से साफ है कि भारत अब भगोड़ों को वापस लाने की दिशा में अधिक आक्रामक और संगठित रणनीति पर काम कर रहा है।
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