भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने बताया है कि चक्रवाती तूफान ‘मोंथा’ (Cyclone Montha) 28 अक्टूबर की सुबह तक एक प्रचंड चक्रवाती तूफान में बदल सकता है। इसके प्रभाव से आंध्र प्रदेश, ओडिशा, तमिलनाडु और केरल में भारी वर्षा की संभावना जताई गई है।
लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इस तूफान का नाम ‘मोंथा’ कैसे पड़ा?
दरअसल, चक्रवातों के नाम विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) द्वारा निर्धारित प्रक्रिया के तहत रखे जाते हैं। यह संगठन संयुक्त राष्ट्र की एक एजेंसी है, जो दुनिया भर में मौसम, जलवायु और जलविज्ञान से जुड़े मामलों की निगरानी करती है।
WMO के अनुसार, किसी विशेष क्षेत्र या दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में एक समय में एक से अधिक चक्रवात सक्रिय हो सकते हैं, और वे एक सप्ताह या उससे अधिक समय तक बने रह सकते हैं। ऐसे में भ्रम से बचने और आपदा प्रबंधन, जोखिम जागरूकता तथा राहत कार्यों को आसान बनाने के लिए प्रत्येक उष्णकटिबंधीय तूफान को एक विशिष्ट नाम दिया जाता है।
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महत्वपूर्ण बात यह है कि एक बार किसी चक्रवात को नाम दिए जाने के बाद वही नाम दोबारा इस्तेमाल नहीं किया जाता। दक्षिण एशियाई क्षेत्र (जिसमें भारत, बांग्लादेश, पाकिस्तान, म्यांमार, श्रीलंका आदि देश शामिल हैं) के लिए नामों की सूची पहले से तैयार की जाती है। ‘मोंथा’ नाम म्यांमार ने सुझाया था, जिसका अर्थ है फूल।
इस नामकरण प्रक्रिया का उद्देश्य मौसम संबंधी घटनाओं की पहचान आसान बनाना और जनता तक सूचनाओं को जल्दी पहुंचाना है।
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