डीप-ब्रेन स्टिमुलेशन (DBS) एक उन्नत चिकित्सा तकनीक है जिसका उपयोग मुख्य रूप से मूवमेंट डिसऑर्डर्स के इलाज में किया जाता है। यह तकनीक खासतौर पर उन मरीजों के लिए लाभकारी है जो पार्किंसंस रोग, एसेंशियल ट्रेमर और डिस्टोनिया जैसी बीमारियों से पीड़ित हैं और जिनके लक्षण दवाओं से नियंत्रित नहीं हो पाते।
इस तकनीक में डॉक्टर मरीज के मस्तिष्क के विशेष हिस्सों में इलेक्ट्रोड प्रत्यारोपित करते हैं। ये इलेक्ट्रोड पतले तारों के माध्यम से एक छोटे डिवाइस से जुड़े होते हैं, जो आकार में दिल के पेसमेकर जैसा होता है और आमतौर पर ऊपरी छाती की त्वचा के नीचे लगाया जाता है। यह डिवाइस नियंत्रित और हल्के विद्युत आवेग मस्तिष्क के लक्षित हिस्सों में भेजता है।
इन विद्युत संकेतों की मदद से मस्तिष्क की असामान्य गतिविधि या रासायनिक असंतुलन को सही किया जाता है, जिससे रोगियों को अपने लक्षणों में महत्वपूर्ण सुधार महसूस होता है। यह तकनीक पूरी तरह से रिवर्सिबल है, यानी डिवाइस को आवश्यकतानुसार समायोजित या हटाया जा सकता है।
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डीबीएस का सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह उन मरीजों को भी राहत देता है जिनकी स्थिति पारंपरिक दवाओं से सुधर नहीं रही होती। हालांकि, यह प्रक्रिया सर्जरी आधारित होती है और इसमें विशेष प्रशिक्षण और विशेषज्ञ डॉक्टरों की आवश्यकता होती है।
चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि डीप-ब्रेन स्टिमुलेशन भविष्य में न्यूरोलॉजिकल विकारों के इलाज में बड़ी भूमिका निभा सकता है और हजारों मरीजों को बेहतर जीवन जीने में मदद कर सकता है।
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