दिल्ली के लाल किले के पास 10 नवंबर को हुए कार ब्लास्ट में 15 लोगों की मौत के बाद जांच में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। ह्युंडई i20 चलाने वाले उमर-उन-नबी, जो इस विस्फोट में मारे गए, अपने साथी आतंकी आदिल अहमद राथर की शादी में वैचारिक मतभेद के चलते नहीं गए थे। यही दूरी आगे चलकर जांच एजेंसियों के लिए अहम सुराग बनी।
सूत्रों के अनुसार, कश्मीर के रहने वाले उमर—जो हरियाणा के फरीदाबाद स्थित अल-फला यूनिवर्सिटी से जुड़े डॉक्टर थे—ISIS की विचारधारा से प्रभावित थे, जबकि बाकी आरोपी अल-कायदा की विचारधारा मानते थे। दोनों संगठनों की जड़ें सलफिज्म और जिहादिज्म से जुड़ी होने के बावजूद, इनके रणनीतिक लक्ष्य, हिंसा का तरीका, और खलीफा स्थापित करने की समय-सीमा में बड़ा अंतर माना जाता है।
उमर, जो ‘व्हाइट-कॉलर’ मॉडल में सबसे ज्यादा कट्टरपंथी माने जाते थे, वैचारिक और वित्तीय विवादों के कारण आदिल की शादी में शामिल नहीं हुए। बाद में उन्होंने अक्टूबर में जम्मू-कश्मीर के काजीगुंड जाकर समूह के सदस्यों से मतभेद दूर करने की कोशिश की ताकि दिल्ली समेत कई जगहों पर धमाकों की योजना आगे बढ़ सके।
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जांच में पता चला कि विस्फोटक सहित तैयारियों के लिए उमर को 26 लाख रुपये दिए गए थे, लेकिन खर्च का हिसाब देने को लेकर वह असहज थे। वित्तीय योगदान में उमर ने 2 लाख, आदिल ने 8 लाख, जबकि गिरफ्तार आरोपियों शाहीन सईद और मुज़म्मिल शकील ने 5-5 लाख रुपये दिए। आदिल के भाई मुज़फ्फर अहमद राथर, जो देश से फरार बताया जा रहा है, ने 6 लाख दिए।
10 नवंबर को धोखे में पड़े उमर ने पहले लाल किले के पार्किंग में धमाका करने की कोशिश की, लेकिन सोमवार होने के कारण क्षेत्र बंद मिला। तीन घंटे इंतजार के बाद उन्होंने कार को लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास उड़ा दिया। इससे पहले जम्मू-कश्मीर पुलिस ने 2,900 किलो विस्फोटक बरामद कर मॉडल का भंडाफोड़ करने की घोषणा की थी।
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