दिल्ली उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की गई है, जिसमें हाल ही में लगाए गए ‘आई लव मोहम्मद’ पोस्टरों को लेकर दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि ये मामले अल्पसंख्यक समुदाय की शांतिपूर्ण धार्मिक अभिव्यक्ति को निशाना बनाते हैं और इससे सांप्रदायिक सौहार्द को खतरा हो सकता है।
याचिकाकर्ता का तर्क है कि पोस्टरों का उद्देश्य किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाना नहीं था, बल्कि यह केवल श्रद्धा और विश्वास की अभिव्यक्ति थी। इसके बावजूद पुलिस ने कई स्थानों पर एफआईआर दर्ज की है, जिससे समुदाय में असुरक्षा की भावना उत्पन्न हो रही है।
याचिका में यह भी कहा गया है कि इस तरह की कार्रवाई से न केवल संविधान द्वारा प्रदत्त अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता प्रभावित होती है, बल्कि यह धर्मनिरपेक्ष ढांचे के खिलाफ भी है। अदालत से अनुरोध किया गया है कि वह इन एफआईआर को रद्द करे और यह सुनिश्चित करे कि किसी भी समुदाय की शांतिपूर्ण आस्था प्रदर्शन को आपराधिक दृष्टि से न देखा जाए।
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इस मामले ने राजनीतिक रंग भी ले लिया है। कई संगठनों का कहना है कि धार्मिक पोस्टरों को लेकर दर्ज मुकदमे तनाव बढ़ा सकते हैं और समाज में विभाजन पैदा कर सकते हैं।
दिल्ली हाई कोर्ट इस मामले की सुनवाई आने वाले दिनों में करेगा और देखना होगा कि अदालत किस तरह इस संवेदनशील विषय पर संतुलित फैसला सुनाती है।
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