दिल्ली में लगातार बिगड़ती वायु गुणवत्ता को लेकर मंगलवार (18 नवंबर 2025) को जंतर-मंतर पर बड़ी संख्या में नागरिकों और छात्रों ने विरोध प्रदर्शन किया। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU), दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) और जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्रों सहित सैकड़ों प्रदर्शनकारी तुरंत कार्रवाई की मांग करते हुए जुटे।
दिल्ली दीपावली के बाद से "बहुत खराब" श्रेणी की हवा से जूझ रही है। एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) कई दिनों से 300 से ऊपर दर्ज हो रहा है। मंगलवार को भी शहर जहरीली धुंध से ढका रहा और समग्र AQI 344 रिकॉर्ड किया गया। सीपीसीबी के अनुसार, चार मॉनिटरिंग स्टेशनों ने “गंभीर” स्तर का प्रदूषण दर्ज किया।
प्रदर्शनकारियों ने औद्योगिक स्तर के मास्क पहनकर और पोस्टर लेकर सरकार से जवाबदेही की मांग की। एक पोस्टर पर लिखा था—“दिल्ली ICU में है, Govt कहां है?”
लोगों ने कहा कि प्रदूषण ने उत्तरी भारत में जीवन की गुणवत्ता खराब कर दी है और बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ रहा है।
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एक प्रदर्शनकारी ने कहा, “अगर पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था में जीना है, तो साफ हवा सबसे जरूरी है।”
एक अन्य प्रदर्शनकारी शाहिद ने दिल्ली सरकार पर “वास्तविक मुद्दों से भागने” का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “सरकार ने अपने दफ्तरों के लिए एयर प्यूरीफायर खरीदे, लेकिन आम लोगों का क्या?”
DU की छात्रा अंजलि ने कहा कि उन्होंने 10 नवंबर को इंडिया गेट पर भी ऐसा ही प्रदर्शन किया था, जिसमें 15 महिलाओं को हिरासत में लेकर देर रात बावाना छोड़ दिया गया था।
उन्होंने आरोप लगाया कि दिल्ली सरकार AQI डेटा ‘मैनिपुलेट’ कर रही है, बिना वैज्ञानिक आधार के क्लाउड-सीडिंग पर पैसा खर्च कर रही है और प्रदूषण के असली कारणों पर काम नहीं कर रही।
एक बच्चे ने पोस्टर पकड़ा था—“पौधे ऑक्सीजन दे रहे हैं, पर हम ज़हर क्यों सांस ले रहे हैं?” उसने कहा कि बढ़ते प्रदूषण से उसके गले में दर्द हो रहा है।
9 नवंबर को भी इंडिया गेट पर लोगों ने बड़े स्तर पर विरोध किया था, जिसके बाद अनुमति न होने के कारण कई को पुलिस ने हिरासत में लिया था।
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