सुप्रीम कोर्ट में 2020 के दिल्ली दंगा मामले से जुड़ी बड़ी साजिश के तहत गिरफ्तार कार्यकर्ता शरजील इमाम, पूर्व जेएनयू छात्र उमर खालिद और तीन अन्य आरोपियों की जमानत याचिकाओं पर शुक्रवार को सुनवाई जारी है।
27 अक्टूबर 2025 को न्यायमूर्ति अरविंद कुमार और एन.वी. अंजनिया की पीठ ने इस मामले की सुनवाई स्थगित कर 31 अक्टूबर के लिए तय की थी, जब अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस.वी. राजू ने दिल्ली पुलिस की ओर से जवाब दाखिल करने के लिए अतिरिक्त समय मांगा था।
दिल्ली पुलिस ने गुरुवार (30 अक्टूबर 2025) को सुप्रीम कोर्ट में दलील दी कि उमर खालिद और अन्य सह-आरोपी “स्पॉन्सर्ड” एंटी-सीएए प्रदर्शनों को ढाल और उकसावे का माध्यम बनाकर देशभर में सांप्रदायिक हिंसा भड़काने की साजिश में शामिल थे। पुलिस के अनुसार, इन प्रदर्शनों का अंतिम उद्देश्य सरकार परिवर्तन (रेजीम चेंज) था।
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पुलिस ने यह भी कहा कि खालिद और उनके सहयोगी शरजील इमाम, मीरान हैदर, शिफा-उर-रहमान, मोहम्मद सलीम खान और गुलफिशा फातिमा ने ऐसी योजना बनाई थी कि हिंसा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भारत यात्रा के समय भड़के, ताकि अंतरराष्ट्रीय मीडिया का ध्यान आकर्षित किया जा सके और सीएए को मुसलमानों के खिलाफ उत्पीड़न के रूप में पेश किया जा सके।
इससे पहले, दिल्ली हाई कोर्ट ने 2 सितंबर को नौ आरोपियों को जमानत देने से इनकार कर दिया था, यह कहते हुए कि “नागरिकों द्वारा प्रदर्शन या विरोध के नाम पर हिंसक साजिश की अनुमति नहीं दी जा सकती।”
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