चुनाव आयोग ने बिहार विधानसभा चुनावों से पहले राजनीतिक दलों को चेतावनी दी है कि वे AI-जनित डीपफेक और कृत्रिम सामग्री के दुरुपयोग से बचें। आयोग ने यह स्पष्ट किया कि चुनाव में गलत सूचना फैलाने या मतदाताओं को गुमराह करने के उद्देश्य से किसी भी तरह के सिंथेटिक कंटेंट का उपयोग गंभीर अपराध माना जाएगा।
आयोग ने सभी दलों को निर्देश दिए हैं कि वे कृत्रिम या संपादित सामग्री को स्पष्ट रूप से लेबल करें, ताकि मतदाता यह पहचान सकें कि यह वास्तविक सामग्री नहीं है। इस दिशा में आयोग ने विशेष एडवाइजरी जारी की है, जिसमें डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर नियमों का पालन सुनिश्चित करने और सोशल मीडिया पर फैल रही झूठी सामग्री को रोकने के उपाय शामिल हैं।
इसके अलावा, आयोग ने कहा कि लगभग 8.5 लाख चुनाव अधिकारियों और कर्मियों को तैनात किया जाएगा, ताकि चुनाव प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से संपन्न हो। इन अधिकारियों को मतदान केंद्रों, मतदाता जागरूकता कार्यक्रमों और इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों की निगरानी के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा।
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विशेषज्ञों के अनुसार, चुनावों में AI और डिजिटल तकनीक का दुरुपयोग लोकतंत्र के लिए गंभीर चुनौती बन सकता है। आयोग का यह कदम मतदाताओं को सटीक और भरोसेमंद जानकारी प्रदान करने और चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।
आयोग ने राजनीतिक दलों को यह भी चेताया कि नियमों का उल्लंघन पाए जाने पर कानूनी कार्रवाई और चुनावी दंड भी लागू किया जाएगा।
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