धर्मेंद्र, भारतीय सिनेमा के वो महान अभिनेता, जिन्होंने पर्दे पर हीरो की परिभाषा ही बदल दी, अब हमारे बीच नहीं रहे। 24 नवंबर को, अपनी 90वीं वर्षगांठ से महज दो सप्ताह पहले, उन्होंने अपने विशाल "परिवार"—अपने दर्शकों—को अंतिम विदाई दी।
धर्मेंद्र के आने से पहले भारतीय सिनेमा के नायक अक्सर दुखांत भूमिकाओं में ही सीमित रहते थे। लेकिन धर्मेंद्र ने इस छवि को तोड़ दिया। उन्होंने अपनी शारीरिक क्षमता, व्यक्तित्व और सहजता से पर्दे पर ऐसा प्रभाव डाला कि बॉलीवुड की कहानी ही बदल गई। उनका 'ग्रीक गॉड' लुक, देसी अंदाज़, और दिल छू लेने वाला व्यक्तित्व दर्शकों को पहली ही नज़र में भा जाता था।
चाहे ‘गरम’ हो या ‘नरम’, धर्मेंद्र हर तरह की भूमिकाओं में फिट बैठे। उनका रोमांटिक अंदाज़ दर्शकों को दीवाना करता, तो उनकी एक्शन भूमिकाओं पर सीटियाँ बज उठतीं। छह दशकों में 300 से अधिक फिल्मों में काम कर, उन्होंने वह मुकाम हासिल किया जहाँ बहुत कम अभिनेता पहुँच पाते हैं।
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धर्मेंद्र हमेशा वास्तविक रहे—जीवन में भी और सोशल मीडिया पर भी। आज जब सोशल मीडिया को टीमें सँभालती हैं, वहाँ उनका सादापन और ईमानदारी उन्हें और भी खास बनाती थी।
उनकी जीवन यात्रा भी किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं थी। पंजाब के लुधियाना जिले के छोटे से गाँव नसराली से मुंबई तक का सफ़र उन्होंने अपने सपनों के सहारे तय किया। दिलीप कुमार की फिल्म ‘शहीद’ (1948) ने उनके मन में अभिनय का बीज बोया। आगे चलकर वह भारत के सबसे लोकप्रिय सितारों में से एक बने।
धर्मेंद्र सिर्फ एक अभिनेता नहीं थे, वह एक युग थे—एक ऐसा युग, जिसे भारतीय सिनेमा हमेशा याद रखेगा।
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