गंगोत्री ग्लेशियर, जो हिमालय के प्रमुख ग्लेशियरों में से एक है और भागीरथी नदी का मुख्य स्रोत है, हाल के वर्षों में तेजी से बदलती जलवायु के प्रभावों का सामना कर रहा है। वैज्ञानिक अध्ययनों और उपग्रह आंकड़ों से संकेत मिल रहे हैं कि यहां बर्फ सामान्य समय से पहले पिघलने लगी है, जिससे जलचक्र और नदी के प्रवाह पैटर्न पर असर पड़ सकता है।
ग्लेशियर विज्ञानियों का कहना है कि बढ़ते तापमान और बदलते वर्षा चक्र के कारण गंगोत्री ग्लेशियर की सतह पर मौसमी बर्फ जमने की अवधि कम हो रही है। सामान्यतः यह बर्फ देर तक जमा रहती थी और धीरे-धीरे पिघलती थी, जिससे गर्मियों में स्थिर जल प्रवाह मिलता था। अब समय से पहले बर्फ पिघलने से गर्मियों के मध्य और अंत में जल प्रवाह घटने का खतरा बढ़ सकता है।
भागीरथी नदी, जो गंगा की प्रमुख धारा है, इस ग्लेशियर से पोषित होती है। वैज्ञानिकों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण ग्लेशियर प्रणाली का संतुलन बिगड़ रहा है, जिससे नदी के प्रवाह में अनियमितता आ सकती है। यह न केवल नदी तटवर्ती क्षेत्रों की पारिस्थितिकी को प्रभावित करेगा, बल्कि जल आपूर्ति, सिंचाई और जलविद्युत परियोजनाओं के लिए भी चुनौती बन सकता है।
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विशेषज्ञ सुझाव दे रहे हैं कि गंगोत्री क्षेत्र में लगातार निगरानी और शोध बढ़ाने की जरूरत है, ताकि जलवायु परिवर्तन के दीर्घकालिक प्रभावों को बेहतर तरीके से समझा जा सके और समय रहते नीति-निर्माण में समुचित कदम उठाए जा सके।
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