राज्यसभा में बुधवार (10 दिसंबर 2025) को तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सांसद मोहम्मद नदीमुल हक़ ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार सूचना के अधिकार (RTI) के तहत जानकारी साझा करने से “डरती और अनिच्छुक” है। उन्होंने कहा कि कानून की पवित्रता को संरक्षित किया जाना चाहिए, क्योंकि सूचना मांगना संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत मूल अधिकार है।
उन्होंने कहा कि 2005 में लागू हुआ RTI कानून दुनिया के सबसे मजबूत कानूनों में से एक था, जहां 30 दिनों की समय सीमा में जवाब देना अनिवार्य है। लेकिन बीते 20 वर्षों में सरकार ने RTI को कमजोर कर दिया है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि मौजूदा एनडीए सरकार अब “No Data Available” सरकार बन चुकी है।
सांसद ने बताया कि नवंबर 2025 तक केंद्रीय सूचना आयोग में 10 में से 8 पद खाली हैं और 5 सितंबर से भारत में मुख्य सूचना आयुक्त भी नहीं है। इस वजह से द्वितीय अपीलों के निपटारे में दो से तीन साल लग जाते हैं, और तब तक जानकारी का महत्व समाप्त हो जाता है।
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उन्होंने कहा कि सरकार डिजिटल इंडिया की बात तो करती है, लेकिन RTI वेबसाइट महीनों से तकनीकी समस्याओं से जूझ रही है—OTP में देरी, वेबसाइट क्रैश और शिकायतों का समाधान न होना आम बात है। इससे स्पष्ट है कि सरकार जानकारी साझा करने से बच रही है।
हक़ ने कहा कि इसी तरह का मुद्दा वक्फ उम्मीद पोर्टल के साथ भी सामने आया, लेकिन सरकार ने न तो गड़बड़ियां ठीक कीं और न ही समय सीमा बढ़ाई।
उन्होंने सवाल किया कि बंगाल के लोगों को यह जानने का अधिकार है कि मनरेगा की ₹52,000 करोड़ की बकाया राशि कोर्ट आदेश के बावजूद क्यों नहीं जारी की गई। उन्होंने कहा कि विभिन्न योजनाओं के ₹2 लाख करोड़ लंबित हैं और सरकार जवाबदेही से भाग रही है।
अंत में उन्होंने कहा कि यदि सरकार खाली पद नहीं भरती और क्षमता नहीं बढ़ाती, तो RTI केवल कागजों पर बचेगा और पारदर्शिता समाप्त हो जाएगी।
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