अंतर्राष्ट्रीय वायु परिवहन संघ (IATA) ने भारत में प्रीमियम हवाई यात्रा पर जीएसटी बढ़ोतरी को निराशाजनक बताया है। IATA के अनुसार, गैर-इकोनॉमी श्रेणी की हवाई यात्रा पर कर दर वर्षों में तेजी से बढ़ी है। 2017 में सेवा कर (Service Tax) के तहत यह दर केवल 8.6 प्रतिशत थी, लेकिन 3 सितंबर को घोषित नई जीएसटी के बाद यह बढ़कर 18 प्रतिशत हो गई है।
IATA ने कहा कि इस बढ़ोतरी से उच्च आय वर्ग के यात्रियों और व्यावसायिक यात्रियों पर वित्तीय दबाव बढ़ेगा। संघ ने यह भी सुझाव दिया कि कर वृद्धि हवाई यात्रा को महंगा बनाकर मांग पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है। उन्होंने सरकार से अपील की कि कर नीति को समायोजित किया जाए ताकि हवाई यात्रा सस्ती और सुलभ बनी रहे।
विशेषज्ञों का कहना है कि प्रीमियम हवाई यात्रा पर जीएसटी में वृद्धि विमानन क्षेत्र के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो सकती है। यह न केवल घरेलू पर्यटन और व्यापार यात्राओं को प्रभावित करेगा, बल्कि एयरलाइन कंपनियों के लिए भी वित्तीय दबाव बढ़ा सकता है।
और पढ़ें: जीएसटी दर कटौती के बाद शेयर बाजार में तेजी, महिंद्रा एंड महिंद्रा के शेयर में लगभग 6% उछाल
IATA ने यह भी कहा कि यदि उच्च कर दरें लंबे समय तक बनी रहती हैं, तो विदेशी और घरेलू यात्री विकल्प बदल सकते हैं, जिससे एयरलाइन उद्योग की वृद्धि दर धीमी हो सकती है। उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि कर संरचना को उद्योग के हित और उपभोक्ताओं की सुविधा को ध्यान में रखकर तय किया जाए।
संघ ने निष्कर्ष निकाला कि प्रीमियम हवाई यात्रा पर कर वृद्धि यात्रियों और एयरलाइन कंपनियों दोनों के लिए चिंता का विषय है, और इसका असर भारतीय विमानन उद्योग की प्रतिस्पर्धात्मकता पर पड़ सकता है।
और पढ़ें: पीएम मोदी के जन्मदिन पर ओडिशा में 50,000 अंत्योदय घरों के लिए वर्क ऑर्डर जारी