हिमाचल प्रदेश सरकार ने इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज (आईजीएमसी), शिमला में डॉक्टर और मरीज के बीच हुई मारपीट की घटना को गंभीर कदाचार मानते हुए सीनियर रेज़िडेंट डॉक्टर की सेवाएं समाप्त कर दी हैं। यह कार्रवाई बुधवार (24 दिसंबर 2025) को उस जांच रिपोर्ट के आधार पर की गई, जिसमें घटना के लिए डॉक्टर और मरीज—दोनों को जिम्मेदार ठहराया गया है।
सरकारी अधिकारियों के अनुसार, सोमवार को पल्मोनरी वार्ड में हुई इस घटना की जांच के लिए गठित समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी। रिपोर्ट में कहा गया कि मरीज अर्जुन सिंह और सीनियर रेज़िडेंट डॉक्टर राघव नरूला—दोनों का आचरण अनुशासनहीनता, दुर्व्यवहार और सार्वजनिक सेवक के अनुरूप न होने वाला पाया गया। साथ ही रेज़िडेंट डॉक्टर नीति-2025 के उल्लंघन की भी पुष्टि हुई।
चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान निदेशक द्वारा जारी आदेश में कहा गया कि इन तथ्यों को देखते हुए पल्मोनरी मेडिसिन विभाग में कार्यरत सीनियर रेज़िडेंट डॉ. राघव नरूला की सेवाएं रेज़िडेंट डॉक्टर नीति-2025 की धारा 9 के तहत तत्काल प्रभाव से समाप्त की जाती हैं। इसके अलावा मरीज के परिजनों की शिकायत पर डॉक्टर के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की गई है।
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The Indian Witness के अनुसार डॉक्टर मरीज को मुक्का मारते और मरीज को डॉक्टर को लात मारने की कोशिश करते देखा गया। प्रारंभिक रिपोर्ट के आधार पर सोमवार शाम को ही डॉक्टर को निलंबित कर दिया गया।
मरीज अर्जुन सिंह, जो शिमला जिले के कुपवी का निवासी है, ब्रोंकोस्कोपी कराने अस्पताल गया था। उसने आरोप लगाया कि डॉक्टर द्वारा “तू” कहकर संबोधित करने पर विवाद शुरू हुआ। वहीं डॉक्टर ने दावा किया कि मरीज ने उनके और उनके परिवार के खिलाफ अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया।
घटना के बाद अस्पताल में प्रदर्शन हुआ, जिसे पुलिस हस्तक्षेप के बाद शांत कराया गया। इस बीच शिमला मेडिकल एंड डेंटल कॉलेज टीचर्स एसोसिएशन ने निष्पक्ष जांच की मांग करते हुए अस्पतालों में डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने पर जोर दिया।
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