नीति आयोग की नई रिपोर्ट के अनुसार भारत का बायोइकोनॉमी क्षेत्र — जिसमें कृषि, वानिकी, मत्स्य पालन और जलीय कृषि शामिल हैं — वर्ष 2030 तक 300 अरब डॉलर तक पहुँचने की संभावना है।
‘रीइमैजिनिंग एग्रीकल्चर: ए रोडमैप फॉर फ्रंटियर टेक्नोलॉजी लेड ट्रांसफॉर्मेशन’ शीर्षक वाली इस रिपोर्ट में कहा गया है कि एक मजबूत कृषि तंत्र किसी भी राष्ट्र की संप्रभुता का आधार होता है, जो खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करता है। रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने के लक्ष्य में कृषि क्षेत्र का तकनीकी रूपांतरण अत्यंत महत्वपूर्ण है।
रिपोर्ट के अनुसार, “खाद्य प्रणाली से आगे बढ़कर, भारत की कृषि आर्थिक विकास का एक शक्तिशाली इंजन बन सकती है, और इसका तेजी से विकसित हो रहा बायोइकोनॉमी क्षेत्र 2030 तक 300 अरब डॉलर का आँकड़ा छू सकता है।”
और पढ़ें: कृषि संस्थानों में रिक्त पदों को शीघ्र भरें: शिवराज सिंह चौहान
रिपोर्ट जारी करते हुए गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्रभाई पटेल ने कहा, “हम एक ऐसा कृषि पारिस्थितिकी तंत्र बना रहे हैं जो खेती के हर चरण में तकनीक को जोड़ता है। ये नवाचार किसानों को फसल रोगों से लड़ने, उत्पादकता बढ़ाने और कम लागत पर आधुनिक बीज व उपकरण अपनाने में मदद कर रहे हैं। डिजिटल एकीकरण केवल दक्षता बढ़ाने का माध्यम नहीं, बल्कि किसानों को सशक्त बना रहा है।”
नीति आयोग के सीईओ बी.वी.आर. सुब्रह्मण्यम ने कहा कि भारत में कोई दो किसान समान नहीं हैं, इसलिए तकनीकी समाधान उनकी विविध आवश्यकताओं के अनुरूप होने चाहिए। उन्होंने कहा, “फ्रंटियर तकनीकों का वास्तविक प्रभाव इस बात पर निर्भर करेगा कि हम छोटे किसानों से लेकर बड़े उत्पादकों तक समाधान कितनी कुशलता से अनुकूलित कर पाते हैं।”
यह रिपोर्ट जलवायु-सहिष्णु बीजों, प्रेसिशन एग्रीकल्चर, एजेंटिक एआई और डिजिटल ट्विन जैसी तकनीकों के माध्यम से भारत की कृषि उत्पादकता और स्थिरता को बढ़ाने की दिशा में एक ठोस रोडमैप प्रस्तुत करती है।
और पढ़ें: प्रधानमंत्री मोदी ने 35,440 करोड़ रुपये की लागत वाली दो बड़ी कृषि योजनाओं का शुभारंभ किया, किसानों को उत्पादन बढ़ाने का आह्वान