संसदीय समिति ने अपनी हालिया रिपोर्ट में कहा है कि भारत को चीन और पाकिस्तान की संयुक्त नौसैनिक चुनौती का मुकाबला करने में सतर्क और सक्रिय रहना होगा। समिति ने चेतावनी दी कि चीन-पाकिस्तान की नौसैनिक साझेदारी न केवल संयुक्त सैन्य अभ्यास को बढ़ावा दे रही है, बल्कि पाकिस्तान की नौसेना के आधुनिकीकरण को भी गति प्रदान कर रही है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन द्वारा पाकिस्तान को उन्नत नौसैनिक तकनीक, पनडुब्बियां और युद्धपोत उपलब्ध कराना, हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की सामरिक स्थिति के लिए चुनौतीपूर्ण है। यह सहयोग दोनों देशों को समुद्री निगरानी, लॉजिस्टिक सपोर्ट और युद्धक क्षमता में बढ़त दिला सकता है, जो भारत की समुद्री सुरक्षा पर सीधा असर डाल सकता है।
समिति ने सिफारिश की है कि भारतीय नौसेना को अपने आधुनिकीकरण कार्यक्रम में तेजी लानी चाहिए, खासकर पनडुब्बी बेड़े के विस्तार, अत्याधुनिक राडार सिस्टम, समुद्री ड्रोन और मिसाइल तकनीक में। इसके साथ ही, नौसैनिक अड्डों और तटवर्ती सुरक्षा ढांचे को भी मजबूत करने पर जोर दिया गया है।
और पढ़ें: इज़रायल-गाज़ा युद्ध : संयुक्त राष्ट्र और मीडिया संगठनों ने अल जज़ीरा टीम पर घातक हमले की निंदा की
इसके अलावा, रिपोर्ट में हिंद महासागर क्षेत्र में भारत के रणनीतिक साझेदारियों को और गहरा करने की आवश्यकता बताई गई है। इसमें अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया और फ्रांस जैसे मित्र देशों के साथ संयुक्त अभ्यास और सूचना साझाकरण को बढ़ावा देना शामिल है, जिससे समुद्री डोमेन अवेयरनेस और त्वरित प्रतिक्रिया क्षमता में सुधार हो सके।
समिति ने यह भी कहा कि भारत को समुद्री क्षेत्र में साइबर सुरक्षा और कृत्रिम बुद्धिमत्ता आधारित निगरानी प्रणालियों को अपनाने की दिशा में तेज़ी से कदम उठाने होंगे।
कुल मिलाकर, रिपोर्ट इस बात पर बल देती है कि बदलते भू-राजनीतिक हालात में भारत को समुद्री मोर्चे पर अग्रणी और सक्रिय भूमिका निभानी होगी ताकि चीन-पाकिस्तान की संयुक्त नौसैनिक चुनौती का प्रभावी ढंग से मुकाबला किया जा सके।
और पढ़ें: ट्रम्प ने चीन पर शुल्क विराम 90 दिन बढ़ाने का आदेश दिया