भारत ने गुरुवार (30 अक्टूबर 2025) से पाकिस्तान की पश्चिमी सीमा पर एक बड़े पैमाने पर त्रि-सेवा सैन्य अभ्यास ‘त्रिशूल’ की शुरुआत की है। इस अभ्यास का उद्देश्य थलसेना, नौसेना और वायुसेना की संयुक्त सामरिक क्षमता, तालमेल और तत्परता को प्रदर्शित करना है।
यह अभ्यास 30 अक्टूबर से 10 नवंबर तक चलेगा और गुजरात तथा राजस्थान के विस्तृत क्षेत्रों में आयोजित किया जा रहा है। इसमें तीनों सेनाओं के विभिन्न कमांड, विशेष बल, युद्धक विमान, नौसैनिक पोत, और थलसेना की आर्मर्ड यूनिट्स शामिल हैं।
अभ्यास का मुख्य लक्ष्य तीनों सेनाओं के बीच इंटरऑपरेबिलिटी और कोऑर्डिनेशन को बढ़ाना है ताकि किसी भी आपातकालीन परिस्थिति या सीमा पार से उत्पन्न खतरे से निपटने में एकीकृत और तेज़ प्रतिक्रिया दी जा सके।
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रक्षा सूत्रों के अनुसार, ‘त्रिशूल’ अभ्यास में नेटवर्क-सेंट्रिक वारफेयर, संयुक्त हवाई एवं नौसैनिक अभियानों, और लॉजिस्टिक सपोर्ट सिस्टम्स का परीक्षण किया जा रहा है। इसमें अत्याधुनिक तकनीकों जैसे ड्रोन, मिसाइल सिस्टम, इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर और सैटेलाइट संचार का भी उपयोग किया जा रहा है।
अभ्यास के दौरान भारतीय वायुसेना के सुखोई-30, राफेल और तेजस विमान, भारतीय नौसेना के युद्धपोत और हेलिकॉप्टर, तथा भारतीय थलसेना के टैंक और आर्टिलरी यूनिट्स मिलकर कई सिम्युलेटेड ऑपरेशन करेंगे।
रक्षा मंत्रालय ने कहा कि ‘त्रिशूल’ न केवल तीनों सेनाओं की संयुक्त युद्धक क्षमता को प्रदर्शित करता है, बल्कि यह राष्ट्र की सुरक्षा और सामरिक तैयारी को भी मजबूत करता है। यह अभ्यास भारत की संयुक्त रक्षा सिद्धांत (Joint Doctrine) को व्यवहारिक रूप में लागू करने का एक अहम कदम माना जा रहा है।
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