भारत ने चीन के शंघाई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर अरुणाचल प्रदेश की एक भारतीय महिला को हिरासत में लिए जाने के मामले को बेहद कड़े शब्दों में चीनी अधिकारियों के समक्ष उठाया है। यह मामला तब सामने आया जब चीन के आव्रजन अधिकारियों ने महिला के भारतीय पासपोर्ट को मान्यता देने से इनकार कर दिया और उसे एयरपोर्ट पर रोके रखा।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जयसवाल ने इस घटना की पुष्टि करते हुए कहा कि भारत ने इस मुद्दे को “सख्ती से” चीन के समक्ष उठाया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा है और इस तथ्य को चीन की किसी भी प्रकार की अस्वीकृति बदल नहीं सकती।
जयसवाल ने कहा, “अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न और अविच्छेद्य हिस्सा है, और यह स्वयं-स्पष्ट सत्य है। चीनी पक्ष द्वारा किसी भी तरह का इनकार इस निर्विवाद वास्तविकता को बदल नहीं सकता।”
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उन्होंने यह प्रतिक्रिया तब दी जब चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि संबंधित भारतीय नागरिक — प्रेमा वांगजॉम थोंगडोक — के साथ “चीनी कानूनों के अनुसार” व्यवहार किया गया। चीन लंबे समय से अरुणाचल प्रदेश को दक्षिण तिब्बत का हिस्सा बताकर भारतीय नागरिकों के दस्तावेजों को मान्यता देने से इंकार करता रहा है।
भारत ने इस घटना को गंभीरता से लेते हुए चीनी अधिकारियों से तुरंत हस्तक्षेप की मांग की है, ताकि भारतीय नागरिक को उचित सम्मान और संरक्षण मिल सके। यह मुद्दा दोनों देशों के बीच पहले से मौजूद तनावपूर्ण संबंधों में एक और विवाद जोड़ता है। भारत ने दोहराया कि उसके नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करना उसकी शीर्ष प्राथमिकता है और इस मामले में भी कूटनीतिक स्तर पर हर कदम उठाया जा रहा है।
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