भारत ने नाटो प्रमुख के उस दावे को सिरे से खारिज कर दिया है जिसमें कहा गया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से यूक्रेन संघर्ष को लेकर कोई विशेष योजना मांगी है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जैसवाल ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि यह दावा पूरी तरह से निराधार और तथ्यहीन है।
जैसवाल ने बयान जारी कर कहा, “हम अपेक्षा करते हैं कि नाटो जैसी महत्वपूर्ण संस्था का नेतृत्व सार्वजनिक बयानों में अधिक जिम्मेदारी और सटीकता का परिचय देगा।” उन्होंने यह भी कहा कि भारत का रुख हमेशा से स्पष्ट रहा है कि यूक्रेन संकट का समाधान संवाद और कूटनीतिक तरीकों से ही संभव है।
भारत ने शुरुआत से ही रूस-यूक्रेन युद्ध में किसी भी तरह की सैन्य संलिप्तता से दूरी बनाए रखी है और लगातार युद्धविराम तथा शांति वार्ता का समर्थन किया है। प्रधानमंत्री मोदी ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कई बार कहा है कि “आज का युग युद्ध का नहीं है” और संघर्ष के बजाय बातचीत को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
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विश्लेषकों का मानना है कि नाटो प्रमुख का यह बयान भारत की कूटनीतिक स्थिति को लेकर गलतफहमी पैदा कर सकता है। इसलिए भारत ने तुरंत प्रतिक्रिया देकर इसे खारिज करना ज़रूरी समझा। भारत की कोशिश यह रही है कि वह वैश्विक दक्षिण की आवाज़ के रूप में शांति और स्थिरता का पक्ष ले।
यह घटना अंतरराष्ट्रीय संबंधों में गलत बयानों और सूचनाओं की संवेदनशीलता को भी उजागर करती है। भारत ने अपने रुख को स्पष्ट कर दिया है कि वह स्वतंत्र विदेश नीति पर कायम रहेगा और किसी दबाव में नहीं आएगा।
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