प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि भारत और सिंगापुर के रिश्ते केवल औपचारिक कूटनीति तक सीमित नहीं हैं, बल्कि ये बहुआयामी और गहरे रणनीतिक सहयोग पर आधारित हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि बदलते वैश्विक परिदृश्य और भू-राजनीतिक उथल-पुथल के बीच दोनों देशों का साझेदारी मॉडल क्षेत्रीय स्थिरता और विकास के लिए बेहद अहम है।
मोदी ने जोर देकर कहा कि भारत और सिंगापुर की साझेदारी डिजिटल प्रौद्योगिकी, नवाचार, वित्तीय सहयोग और आतंकवाद विरोधी प्रयासों पर केंद्रित है। दोनों देश साइबर सुरक्षा, फिनटेक, स्मार्ट सिटी परियोजनाओं और डिजिटल पेमेंट के क्षेत्र में मिलकर काम कर रहे हैं। इससे न केवल व्यापारिक और आर्थिक रिश्ते मजबूत हो रहे हैं बल्कि नई तकनीकी क्रांति का लाभ आम नागरिकों तक पहुँच रहा है।
इसके अलावा, दोनों देशों ने सुरक्षा और आतंकवाद विरोधी सहयोग को भी अपनी साझेदारी का महत्वपूर्ण हिस्सा बताया है। सिंगापुर दक्षिण-पूर्व एशिया में भारत का एक प्रमुख सहयोगी है और समुद्री सुरक्षा से लेकर रक्षा अभ्यास तक में दोनों की सक्रिय भागीदारी है।
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विश्लेषकों का कहना है कि भारत और सिंगापुर की करीबी साझेदारी से एशिया-प्रशांत क्षेत्र में संतुलन कायम करने में मदद मिलती है। साथ ही, यह दोनों देशों की वैश्विक भूमिका को भी सशक्त बनाती है।
मोदी ने यह भी कहा कि यह संबंध सांस्कृतिक, शैक्षिक और मानवीय पहलुओं से भी समृद्ध हैं, जो पीढ़ियों तक दोनों देशों को जोड़ते रहेंगे।
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