ईरान ने साफ कर दिया है कि हाल ही में इज़राइल के साथ युद्ध के दौरान बमबारी किए गए उसके परमाणु स्थलों पर अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) को तब तक प्रवेश नहीं दिया जाएगा, जब तक दोनों पक्षों के बीच एक ठोस और स्पष्ट समझौता न हो जाए। विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने गुरुवार (20 नवंबर 2025) को टेलीग्राम पर पोस्ट किए गए इंटरव्यू में कहा कि “हमलों का सामना करने वाली इन सुविधाओं की अपनी एक कहानी है, और जब तक हम, IAEA और अन्य संबंधित पक्ष किसी नतीजे पर नहीं पहुंचते, तब तक सहयोग संभव नहीं है।”
यह इंटरव्यू ऑनलाइन को IAEA द्वारा बमबारी किए गए स्थलों पर निरीक्षण की मांग करते हुए पारित प्रस्ताव से पहले दिया गया था। जून के मध्य में इज़राइल ने ईरान पर व्यापक हवाई हमले शुरू किए थे, जिससे 12 दिनों तक युद्ध चला। इस दौरान अमेरिका ने भी कुछ प्रमुख ईरानी परमाणु ठिकानों पर हमले कर युद्ध में हस्तक्षेप किया।
युद्ध के बाद तेहरान ने IAEA के साथ सहयोग निलंबित कर दिया और उसके निरीक्षकों को प्रभावित स्थलों पर जाने से रोक दिया। ईरान का आरोप है कि IAEA पक्षपाती है और उसने इज़राइल के हमलों की निंदा करने में विफलता दिखाई। अराघची ने कहा कि “वे हमला कर चले गए, और अब एजेंसी उनके लिए रिपोर्ट लिखे कि क्या नुकसान हुआ—यह तर्कसंगत नहीं है।”
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सितंबर में दोनों पक्षों के बीच नया सहयोग ढांचा तय हुआ था, लेकिन ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी द्वारा 2015 के परमाणु समझौते के तहत हटाए गए प्रतिबंधों को फिर लागू करने पर ईरान ने इसे अमान्य घोषित कर दिया।
युद्ध के चलते ईरान-अमेरिका परमाणु वार्ताएं भी पटरी से उतर गईं। ईरान का कहना है कि वह वार्ता के लिए तैयार है, लेकिन केवल समान स्तर पर। अराघची ने मिसाइल कार्यक्रम पर किसी भी तरह की वार्ता को “राष्ट्रीय हितों के खिलाफ” बताते हुए खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि यूरोपीय देशों के साथ बातचीत अब “बेकार” है क्योंकि उन्होंने प्रतिबंधों की वापसी को ट्रिगर किया।
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