समाजवादी पार्टी की सांसद जया बच्चन ने राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान देशभर में एम्बुलेंस के लिए समर्पित इमरजेंसी लेन बनाने की कड़ी मांग उठाई। उन्होंने कहा कि जहां देश में किराना 15 मिनट में और पिज्ज़ा 30 मिनट में घर पहुंच जाता है, वहीं एम्बुलेंस ट्रैफिक जाम में फँस जाती हैं और मरीज इलाज के लिए समय पर अस्पताल नहीं पहुँच पाते, जिससे कई लोगों की जान चली जाती है।
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा 2018 में एम्बुलेंस कॉरिडोर बनाने का स्पष्ट निर्देश दिया गया था, लेकिन अभी तक राष्ट्रीय स्तर पर ऐसी कोई व्यवस्था लागू नहीं हुई है। उन्होंने बताया कि देश में 60% एम्बुलेंस देर से पहुँचती हैं और शहरी क्षेत्रों में औसतन 15 से 30 मिनट की देरी होती है, जिससे 55% दुर्घटना पीड़ित 'गोल्डन ऑवर' से चूक जाते हैं।
जया बच्चन ने तत्काल राष्ट्रीय स्तर पर इमरजेंसी लेन को अनिवार्य करने, एआई आधारित ट्रैफिक सिग्नल लागू करने, 30-सेकंड के ग्रीन कॉरिडोर बनाने और नियमों का उल्लंघन करने वालों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की। उन्होंने एम्बुलेंस देरी से होने वाली मौतों पर उच्च स्तरीय जांच की भी मांग की।
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इसके साथ ही उन्होंने महिलाओं के लिए जेंडर-सेंसिटिव मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की भारी कमी की ओर ध्यान आकर्षित किया और कहा कि घरेलू हिंसा, साइबर उत्पीड़न, एसिड अटैक और उत्पीड़न से पीड़ित महिलाओं को समय पर मानसिक सहायता नहीं मिलती। उन्होंने देशभर में पुलिस स्टेशनों, अस्पतालों और हेल्प सेंटर्स पर महिला मानसिक स्वास्थ्य काउंसलर्स की नियुक्ति की मांग की।
राज्यसभा में कई अन्य मुद्दे भी उठाए गए—
• मिज़ो सांसद ने आयकर विभाग द्वारा मिज़ोरम के आदिवासियों को परेशान किए जाने के आरोप लगाए।
• यूपी में अधिक हाईकोर्ट बेंचों की मांग उठी।
• प्रदूषण, सड़क दुर्घटनाओं, अवैध रेत खनन, और न्यूनतम वेतन जैसे मुद्दे भी सांसदों ने उठाए।
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