जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने रविवार (23 नवंबर 2025) को जम्मू में एक उच्चस्तरीय सुरक्षा समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की। यह बैठक ऐसे समय में हुई है जब घाटी में स्थानीय लोगों, विशेषकर कुछ डॉक्टरों के इंटर-स्टेट आतंकी मॉडल से कथित संबंधों और हाल ही में लाल किले के पास हुए विस्फोट के बाद सुरक्षा एजेंसियाँ सतर्क हैं। इस वर्ष कश्मीर में स्थानीय डॉक्टरों के आतंक संगठनों की ओर झुकाव का बढ़ता रुझान सुरक्षा विश्लेषकों द्वारा विशेष रूप से चिंताजनक माना जा रहा है।
जम्मू कन्वेंशन सेंटर में आयोजित बैठक में सेना, जम्मू-कश्मीर पुलिस, सीआरपीएफ, खुफिया एजेंसियों और नागरिक प्रशासन के शीर्ष अधिकारी शामिल हुए। उपराज्यपाल सिन्हा ने मौजूदा सुरक्षा चुनौतियों, खुफिया सूचनाओं और हालिया अभियानों की समीक्षा की। उन्होंने सुरक्षा बलों के बीच समन्वय को और मजबूत करने के निर्देश दिए ताकि किसी भी संभावित आतंकी गतिविधि को पहले ही चरण में विफल किया जा सके।
बैठक में घाटी में जारी आतंकी मॉडल्स पर कार्रवाई, सीमावर्ती इलाकों में घुसपैठ की कोशिशों, और शहरी क्षेत्रों में हाई-प्रोफाइल सुरक्षा जोखिमों पर विशेष चर्चा की गई। अधिकारियों ने हालिया गिरफ्तारियों और बरामद हथियारों से जुड़े अपडेट भी साझा किए।
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सिन्हा ने अधिकारियों से कहा कि आम नागरिकों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है, और किसी भी संदेहास्पद गतिविधि पर तुरंत कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने युवाओं के कट्टरपंथी बनने की घटनाओं को रोकने के लिए समुदाय आधारित कार्यक्रमों और जागरूकता अभियानों को भी तेज करने पर जोर दिया।
बैठक में संवेदनशील स्थानों पर निगरानी बढ़ाने, तकनीकी उपकरणों के अधिक उपयोग, और खुफिया जानकारी के समय पर आदान-प्रदान को सुनिश्चित करने पर भी सहमति बनी। क्षेत्र में लगातार बदल रही सुरक्षा स्थिति को ध्यान में रखते हुए, भविष्य की रणनीतियों पर भी चर्चा की गई।
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