नई दिल्ली में दशहरा उत्सव के दौरान जेएनयू छात्र संघ (JNUSU) और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के बीच विवाद खड़ा हो गया। ABVP द्वारा उमार खालिद और शरजील इमाम की तस्वीरों वाले पुतले जलाने की घटना ने छात्रों और शिक्षाविदों के बीच तीखी प्रतिक्रिया पैदा की। जेएनयू छात्र संघ ने ABVP पर “नफरत की राजनीति फैलाने” का आरोप लगाया। इस आयोजन को वैभव मीना, JNUSU के संयुक्त सचिव और चार-सदस्यीय यूनियन पैनल में एकमात्र ABVP सदस्य, की पहल पर आयोजित किया गया था।
घटना के तथ्यों के अनुसार, JNUSU के अन्य पदाधिकारियों ने एक संयुक्त बयान में कहा कि आरएसएस और ABVP समाज को सांप्रदायिक आधार पर बांटने के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने सभी छात्रों से अपील की कि वे इन ताकतों से दूरी बनाए रखें और उनकी नफरत और असहमति की राजनीति के खिलाफ खड़े हों। बयान में यह भी कहा गया कि उमार खालिद और शरजील इमाम पिछले पांच वर्षों से जेल में हैं और उनके जमानत याचिकाएं कई बार खारिज की जा चुकी हैं। वैश्विक स्तर पर बौद्धिकों, लोकतांत्रिक कार्यकर्ताओं और न्यायविदों ने राजनीतिक कैदियों की गिरफ्तारी को लेकर चिंता व्यक्त की है।
वैभव मीना ने पुतला जलाने का बचाव करते हुए कहा कि इस साल रावण के पुतले को नक्सलवाद, वामपंथ, माओवादी हिंसा और देश-विरोधी विचारधाराओं का प्रतीक मानकर जलाया गया। उन्होंने बताया कि जेल में बंद छात्रों और अन्य व्यक्तियों को रावण के कई सिरों के रूप में दिखाया गया और उनका प्रतीकात्मक विनाश घोषित किया गया। इस घटना से विश्वविद्यालय में राजनीतिक तनाव बढ़ने की संभावना और छात्रों के बीच विचारों के टकराव की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
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