कर्नाटक समाज-आर्थिक और शैक्षणिक सर्वेक्षण 2025, जो राज्य का अब तक का सबसे बड़ा सर्वेक्षण माना जा रहा है, ने अब तक 6.14 करोड़ लोगों को कवर किया है। यह आंकड़ा 31 अक्टूबर को घर-घर जाकर की गई गणना के बाद सामने आया। वर्ष 2015 के सर्वेक्षण में 5.98 करोड़ लोगों का डेटा एकत्र किया गया था, जिससे इस बार की गणना में वृद्धि देखी गई है।
यह सर्वेक्षण 22 सितंबर 2025 को शुरू हुआ था और मूल रूप से 7 अक्टूबर को समाप्त होना था, लेकिन इसकी अवधि दो बार बढ़ाई गई। अब ऑनलाइन पंजीकरण की सुविधा 10 नवंबर तक जारी रहेगी। इस बार राज्य की अनुमानित 6.85 करोड़ आबादी में से लगभग 89.47 प्रतिशत लोगों ने सर्वे में भाग लिया है। अंतिम आंकड़ा 90 से 91 प्रतिशत के बीच रहने की उम्मीद है, जो 2015 के 94.17 प्रतिशत से थोड़ा कम रहेगा।
कर्नाटक राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष मधुसूदन आर. नाइक ने बताया कि आयोग के पास समुदायों की सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक स्थिति के विश्लेषण के लिए पर्याप्त डेटा मौजूद है। उन्होंने कहा, “गणना के लिए किसी न्यूनतम प्रतिशत का कानून नहीं है। पर्याप्त संख्या में लोगों के डेटा से विश्लेषण संभव है।”
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सर्वेक्षण में यह भी सामने आया कि राज्य के अनुमानित 1.48 करोड़ घरों में से 34.49 लाख (23.28%) घर ‘खाली या बंद’ पाए गए। वहीं, 4.22 लाख परिवार (2.84%) ने सर्वेक्षण में भाग लेने से इनकार किया।
पहले ऐसे सर्वेक्षण केवल सैंपल आधार पर किए जाते थे, जैसे 1988 की चिन्नप्पा रेड्डी आयोग रिपोर्ट, जिसने केवल 525 गांवों के आंकड़ों पर अपनी सिफारिशें दी थीं।
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