केरल के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने कहा है कि किसी भी लोकतंत्र के स्वस्थ संचालन के लिए यह जरूरी है कि संस्थाएं अपनी संवैधानिक सीमाओं को जानें और उनका सम्मान करें। राज्यपाल का यह बयान ऐसे समय आया है, जब कुछ दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने केरल सरकार और राज्यपाल के बीच दो राज्य विश्वविद्यालयों में कुलपतियों (वीसी) की नियुक्ति को लेकर चले आ रहे गतिरोध को खत्म करने के लिए हस्तक्षेप किया था।
राज्यपाल और केरल सरकार के बीच एपीजे अब्दुल कलाम प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय और यूनिवर्सिटी ऑफ डिजिटल साइंसेज, इनोवेशन एंड टेक्नोलॉजी में कुलपति की नियुक्ति को लेकर लंबे समय से मतभेद चल रहे थे। इस टकराव के चलते विश्वविद्यालयों के प्रशासनिक कामकाज पर भी असर पड़ रहा था।
इस मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक अहम निर्देश जारी किया। शीर्ष अदालत ने सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की अध्यक्षता में एक समिति गठित करने को कहा, जो इन दोनों विश्वविद्यालयों के कुलपति पद के लिए उपयुक्त नामों की सिफारिश करेगी। अदालत के इस कदम को राज्यपाल और राज्य सरकार के बीच जारी गतिरोध को सुलझाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल माना जा रहा है।
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सुप्रीम कोर्ट के आदेश के कुछ ही दिन बाद राज्यपाल आर्लेकर ने रविवार को कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था तभी सुचारू रूप से काम कर सकती है, जब सभी संवैधानिक संस्थाएं अपनी-अपनी भूमिकाओं और सीमाओं को समझें। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि संस्थागत टकराव से न केवल शासन व्यवस्था प्रभावित होती है, बल्कि जनता का भरोसा भी कमजोर पड़ता है।
राज्यपाल और सरकार के बीच कुलपति नियुक्ति जैसे संवेदनशील मुद्दों पर टकराव को लेकर केरल में राजनीतिक बहस तेज रही है। सुप्रीम कोर्ट की समिति से अब यह उम्मीद की जा रही है कि वह निष्पक्ष और संतुलित सिफारिशें देकर इस विवाद का स्थायी समाधान निकालने में मदद करेगी।
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