जम्मू और कश्मीर के मानवाधिकार कार्यकर्ता खुर्रम परवेज़, जिन्हें कथित आतंकवादी वित्त पोषण मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने गिरफ्तार किया था, अब चार साल से हिरासत में हैं। श्रीनगर सांसद आग़ा रुहुल्लाह महदी ने परवेज़ की हिरासत को “अवैध imprisonment” बताया और कहा कि उनका एकमात्र अपराध उन लोगों की आवाज़ को दुनिया तक पहुँचाना था जिन्हें दुनिया ने नजरअंदाज किया।
खुर्रम परवेज़ जम्मू और कश्मीर कोलिशन ऑफ़ सिविल सोसाइटी (JKCCS) के समन्वयक रहे हैं। उनके काम का केंद्र हमेशा नागरिकों और मानवाधिकारों के मुद्दों को उजागर करना रहा है। सांसद महदी ने कहा कि परवेज़ का कार्य लोकतंत्र और समाज में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण है।
उन्होंने जोर देकर कहा कि चार साल की लंबी हिरासत और बिना ठोस आधार के कार्यवाही न केवल मानवाधिकारों का उल्लंघन है बल्कि लोकतांत्रिक मूल्यों और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए भी खतरा है। महदी ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की कि ऐसे मामलों पर ध्यान दिया जाए, जहां मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को उनके काम के कारण निशाना बनाया जाता है।
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JKCCS और अन्य मानवाधिकार संगठनों ने भी लगातार खुर्रम परवेज़ की रिहाई की मांग की है। उनका कहना है कि इस हिरासत का असर केवल व्यक्तिगत नहीं है, बल्कि यह उन सभी लोगों के लिए चेतावनी है जो समाज में सच्चाई और मानवाधिकार के लिए आवाज़ उठाते हैं।
मानवाधिकार विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे मामलों में न्यायिक प्रक्रिया की देरी और लंबी हिरासत लोकतंत्र और समाज में विश्वास को कमजोर करती है। खुर्रम परवेज़ की हिरासत का मामला इस दिशा में एक महत्वपूर्ण चेतावनी बना हुआ है।
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